बस्तर के 16 श्रिंगारों में से एक है चित्रकोट जलप्रपात

छत्तीसगढ़ के पहचान की बात हो और बस्तर का नाम ना लिया जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. बस्तर… वैसे तो बस्तर को जानने वालों के लिए इसका नाम ही काफी है. पहाड़ों, जंगलों, झरनों और नदियों से घिरा ये इलाका अपने आंचल में कई राज समेटे हुआ है. यहां की संस्कृति, सभ्यता, आदिवासियों का रहन-सहन अपने आप में ही अनूठा है, लेकिन जो लोग बस्तर को नहीं जानते उन्हें यहां सिर्फ लाल आतंक यानी नक्सलियों का साया ही नजर आता है.

प्रकृति के असली सौंदर्य को अपने रोम-रोम में समेटे बस्तर में जंगलों के बीच इतने झरने हैं, जहां आज भी सैलानी पहुंच नहीं पाए हैं. समय के साथ-साथ बस्तर के वो राज भी खुल रहे हैं, जो इतने दिलचस्प और रोचक है कि उसे एक्सप्लोर करने दूसरे राज्यों से भी घुमक्कड़ी कहें या रमता जोगी यहां पहुंच ही जाते हैं. वैसे तो बस्तर को जानने और समझने के लिए काफी कुछ है, लेकिन शुरूआत हमेशा चित्रकोट जलप्रपात से होती है.

बस्तर के 16 श्रिंगारों में से एक है चित्रकोट जलप्रपात. चित्रकोट वाटरफाल, 90 फीट की ऊंचाई से गिरता ये झरना इंद्रावती नदी की खूबसूरती पर चार चांद लगा देता है. देशभर में ये जलप्रपात नियाग्रा फॉल के नाम से भी जाना जाता है. यहां तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको जगदलपुर पहुंचना होगा.

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