श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे, 134 सदस्यों का मत हासिल करके जीत हासिल की
कोलंबो : श्रीलंका की संसद ने रानिल विक्रमसिंघे को बुधवार को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया. श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान आज सुबह 10 बजे शुरू हुआ था. विक्रमसिंघे (73) को 225 सदस्यीय सदन में 134 सदस्यों का मत हासिल हुआ. देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोग सड़कों पर उतर आए थे और राजनीतिक उथल पुथल तथा देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए हुआ. मुकाबला कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच था.
आर्थिक संकट से सड़कों पर उतर आए प्रदर्शनकारी
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका में आजादी के बाद से अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोग सड़कों पर उतर आए और राजनीतिक उथल-पुथल तथा देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए हो रहा है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मंगलवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के रूप में प्रस्तावित किया था.
क्या जीत का जादुई आंकड़ा
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव में किसी की जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 225 सदस्यीय संसद में 113 से अधिक मत हासिल करना जरूरी है. एसएलपीपी के अध्यक्ष जीएल पीरिस ने कहा था कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं. विक्रमसिंघे (73) का मुकाबला 63 वर्षीय अल्हाप्पेरुमा और जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (53) से है. अल्हाप्पेरुमा सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी हैं और एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के प्रमुख सदस्य हैं.
1978 के बाद पहली बार हो रहा राष्ट्रपति चुनाव
बता दें कि श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिए हो रहा है. इससे पहले 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति का पद तब खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गई थी. उस वक्त डीबी विजेतुंगा को संसद ने सर्वसम्मति से प्रेमदासा का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था.