कुंडली के इस भाव का शनि दिलाता है दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की

नई दिल्ली. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर असर पड़ता है। जहां ग्रहों की शुभ प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है, वहीं कुंडली में ग्रहों की कमजोर स्थिति के कारण व्यक्ति को कई शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसी प्रकार ज्योतिष अनुसार नवग्रहों में से एक शनि को न्याय ग्रह माना गया है। माना जाता है कि शनिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि शनि के प्रकोप से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। इसलिए शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए ज्योतिष में कई उपाय भी बताए गए हैं। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक शनि की ढैया, महादशा या शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव जिस व्यक्ति पर होता है उसे शारीरिक व मानसिक कष्टों के अलावा जीवन में आर्थिक तंगी, दुर्घटना और निजी रिश्तों में परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।

लेकिन यदि कुंडली में शनि की स्थिति शुभ है तो यह जातक को ऊंचाइयों के शिखर तक पहुंचा सकती है। ज्ञानी व्यक्ति को अपने हर काम में सफलता प्राप्त होती है और भरपूर धन लाभ होता है। तो आइए जानते हैं किस भाव में शनि का होना शुभ माना गया है?

कुंडली के सप्तम भाव में शनि का होना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के सप्तम भाव में शनि का होना बहुत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि यदि किसी की कुंडली के सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति को अपनी नौकरी अथवा व्यापार में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की प्राप्त होती है। समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है। साथ ही जातक को जीवन में धन प्राप्ति के नए स्रोत मिलने लगते हैं। लेकिन मान्यता है कि दांपत्य जीवन के लिए शनि का कुंडली के सप्तम भाव में होना शुभ नहीं माना जाता।

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