मुख्यमंत्री बघेल ने नरवा योजना के तहत 300 करोड़ रुपये कामों का किया शुभारंभ
रायपुर. प्रदेश सरकार की नरवा विकास योजना का सकारात्मक परिणाम दिखने लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशव्यापी भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान लोगों से मिली जानकारी (फीडबैक) के आधार पर बताया कि इस योजना से प्रदेश के वनांचल में 30 और मैदानी क्षेत्रों में लगभग सात सेंटीमीटर तक भूजल स्तर बढ़ा है। एक वर्चुअल कार्यक्रम में बघेल ने इस योजना के अंतर्गत किए जा रहे हैं भूजल संवर्धन और संरक्षण के कामों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के निवास कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में बघेल ने नरवा विकास के तहत वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 40 वनमंडलों में कैम्पा मद से 300 करोड़ 52 लाख रुपये की लागत से स्वीकृत कार्याेंं का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रदेश में वर्ष 2020 में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य के लिए 432 समितियों के चार लाख 72 हजार संग्राहकों को 34 करोड़ 41 लाख रुपये की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित भी की। साथ ही उन्होंने महासमुंद वनमंडल में पांच करोड़ रुपये की लागत से ईको-टूरिज्म विकास के कार्याें का भी शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने की।
कार्यक्रम में वन मंत्री अकबर ने कहा कि भूजल के संरक्षण और संवर्धन सहित नाला को पुनर्जीवित करने में नरवा विकास एक बहुउपयोगी योजना है। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए नरवा विकास कार्यक्रम की सतत रूप से मानिटरिंग हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए नरवा विकास कार्याेंं से जलस्तर में वृद्धि तथा सिंचाई के रकबे में वृद्धि के आकलन की भी तैयारी की जा रही है।
पांच प्रयोगशालाओं का लोकार्पण
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने पांच वनोपज उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं का लोकार्पण किया। ये प्रयोगशालाएं रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, जगदलपुर और सरगुजा वनवृत्त में स्थापित की गई हैं। इन प्रयोगशालाओं में वनोपज की गुणवत्ता परखी जाएगी।