10 हजार रुपए से पाकिस्तान जाकर शुरू की साइकिल वर्कशॉप, आज इनके नाम 50 हजार से ज्यादा गजलें

Cglive Report:आज शहंशाह-ए-गजल मेहदी हसन साहब की पुण्यतिथि है। हसन साहब गजल गायन के इतिहास में सबसे महान और प्रतिभावान शख्सियतों में से एक थे। हसन साहब ने अपनी जिंदगी में करीब 50 हजार से ज्यादा गजल को आवाज दी है और करीब 300 फिल्मों में अपनी आवाज दी है।

अपने परिवार में हसन साहब संगीत के क्षेत्र के 16वीं पीढ़ी थे

मेहदी हसन का जन्म 18 जुलाई को राजस्थान के झुंझुनू जिले के लूणा गांव में एक पारंपरिक संगीतकारों के परिवार में हुआ था। हसन साहब के पहले उनके परिवार की 15 पीढ़ियां संगीत के क्षेत्र से जुड़ी हुई थी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता उस्ताद अजीम खान और चाचा उस्ताद इस्माइल खान से ली थी। हसन साहब ने कम उम्र से ही परफॉर्मेंस देना शुरू कर दिया था।

1947 की आजादी के बाद पाकिस्तान जाकर बस गए थे

1947 में जब भारत आजाद हुआ , तो हसन साहब और उनका पूरा परिवार पाकिस्तान में जाकर बस गया। जब वो पाकिस्तान जाकर बसे तो उनके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। उनके पिता के पास महज 10 हजार रुपए थे। परिवार के पालन-पोषण के लिए उनके पिता ने सोचा कि क्यों ना वो एक लकड़ी का टाल खोल दें। पिता की ये बात 20 साल के हसन साहब को रास नहीं आई।

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