ज्ञानवापी शिवलिंग को लेकर भागवत के बयान पर मचा बवाल

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में बयान दिया था कि, हर मस्जिद में भगवान ढूंढने की जरूरत नहीं है. ऐसे में अब काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने भागवत के बयान पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत कोई आदि गुरु शंकराचार्य नहीं हैं जोकि उनकी बातों को हम स्वीकार करें.

कुलपति तिवारी ने बीजेपी को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये अटल बिहारी वाजपेयी वाली बीजेपी सरकार नहीं है. जो धर्म के लिए लड़े ये तो सत्ता के लिए लड़ने वाली पार्टी है. खुद इनके नेता हर जगह धर्म के नाम पर बयानबाजी कर रहे हैं, और अब ये लोग एक वर्ग को खुश करने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं.

गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था के कुछ मुद्दे शामिल हैं और इस पर अदालत का फैसला सर्वमान्य होना चाहिए. हर मस्जिद में शिवलिंग तलाशने और रोजाना एक नया विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है. संघ प्रमुख ने कहा कि, ‘अब ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी) का मामला चल रहा है. इतिहास को हम बदल नहीं सकते, क्योंकि इतिहास हमने नहीं बनाया और न ही आज के हिंदुओं और मुसलमानों ने इसे बनाया.

सरसंघ संचालक मोहन भागवत ने आगे कहा कि, यह उस समय हुआ, जब इस्लाम आक्रांताओं के साथ भारत आया. आक्रमण के दौरान, स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों के धैर्य को कमजोर करने के लिए मंदिरों को नष्ट कर दिया गया. इस तरह के हजारों मंदिर हैं. मोहन भागवत के इस बयान पर काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने कहा कि भागवत कोई आदि गुरु शंकराचार्य नहीं है, फिर उनकी बात क्यों मानें. ये धर्मयुद्ध की लड़ाई है. इसमे आप संघ प्रमुख होने के नाते खुद ही हिंदुत्व की बात कर पीछे हट गए. इसे क्या समझा जाए.

उन्होंने कहा कि, यह पहले वाली बीजेपी नहीं है जोकि 1980 और 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय की थी. वो बीजेपी धर्म के लिए लड़ी थी. ये बीजेपी सत्ता के लिए लड़ रही है. इनकी नीतियों का पता नहीं चलता है. उन्होंने कहा कि, संघ प्रमुख मोहन भागवत को इस मामले के बीच में पड़ने की जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा कि, मैं काशी विश्वनाथ से बढ़कर किसी को नहीं मानता.

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