तुर्की ने क्यों बदला अपना नाम, गुलामी के निशान को मिटाना चाहते हैं एर्दोगन?

नई दिल्ली.

तुर्की ने अपना नाम बदलकर तुर्किए कर लिया है। यूनाइटेड नेशंस ने भी तुर्की के नाम बदलने के अपील को स्वीकार कर लिया है। 3 जून 2022 से तुर्की, तुर्किए हो गया है। लेकिन तुर्की ने अपना नाम क्यों बदला है और इसके पीछे क्या कारण है, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

साल भर से नाम बदलने की कोशिश में थे एर्दोगन

रिपोर्ट्स बताती हैं कि तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैयप एर्दोगन ने फरवरी 2022 में तुर्की का नाम बदलकर तुर्किए करने का फैसला किया था। हालांकि नाम बदलने की बात अक्टूबर 2021 से ही की जा रही थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि तुर्की का नाम उसकी सही तस्वीर दुनिया के सामने लाने के लिए बदला जा रहा है। एर्दोगन का मानना है कि तुर्किए नाम से देश का इतिहास झलकता है और यह देश की संस्कृति और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

तुर्की शब्द गुलामी का प्रतीक?

औपनिवेशिक काल के दौरान तुर्किए को तुर्की कहा जाना शुरू हुआ था जो अब तक जारी था। एएफपी की एक रिपोर्ट बताती है कि स्वतंत्रता की घोषणा के बाद देश ने 1923 में खुद को तुर्किए ही कहा था लेकिन दुनिया ने तुर्की ही कहा। देश के लोग मानते हैं कि तुर्की शब्द गुलामी का प्रतीक है और तुर्किए आजादी का। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि तुर्की को तुर्की भाषा में तुर्किए के नाम से जाना जाता है। अब अंकारा इसके जरिए खुद को रीब्रांड भी करना चाहता है।

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