3km दूर जाकर गिरा, बदन के हर कपड़े के उड़ गए चिथड़े, शख्स ने बनाई तेलंगाना टनल हादसे की दर्दनाक कहानी

तेलंगाना में एक टनल की छत ढह जाने के बाद 8 लोग अंदर फंस गए हैं. उनको बचाने का प्रयास जारी है. सेना भी बचाव दल की मदद कर रही है. मगर कुछ लोग ऐसे भी थी जो दौड़ कर इस हादसे से अपनी जान बचाई. दरअसल, 57 लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई. मगर वे अभी तक इस हादसे की ट्रॉमा से निकल नहीं पा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि ये हादसा अभी भी उनके आंखों के सामने चल रहा है. आंखों देखी हाल बताते हुए कांप जाते हैं. उनका कहना है कि सोचने तक का समय नहीं मिल पाया. सुरंग के निर्माण काम की निगरानी कर रहे दीपक जैन का कहना है कि छत में होल होते ही तेज रफ्तार से पानी आया, तो ऐसा लगा जैसे बादल फट गया हो!

जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के AGMदीपक जैन नागरकुरनूल जिले में सुरंग बोरिंग कार्य की निगरानी कर रहे थे. तभी ऐसा लगा जैसे बादल फट गया हो!, दीपक की यह पहली प्रतिक्रिया थी. उन्होंने वह शनिवार सुबह लगभग 8:30 बजे श्रीसैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग के बाहर खड़े थे, जब डोमालापेंटा गांव के पास नल्लामला जंगल की पहाड़ियों में स्थित सुरंग की छत के 14वें किलोमीटर पर एक जोरदार आवाज के साथ गिर गई.

तेज पानी का बहाव और बचाव अभियान
जैन ने बताया कि सुरंग में सिर्फ सीमेंट-कंक्रीट के ब्लॉक और मिट्टी ही नहीं गिरी बल्कि छत में बने छेद से अचानक पानी का तेज बहाव भी हुआ. एक मजदूर ने बताया कि ऐसा लगा जैसे कि बाढ़ ही आ गई हो. 57 मजदूर किसी तरह बचकर बाहर निकलने में सफल रहे. उनको सुरक्षित कैंप में रखा गया है. एक साइट इंजीनियर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘वे अभी भी सदमे में हैं और बोलने की स्थिति में नहीं हैं.’

शशिकुमार के साथ तो बुरा ही हो गया
तीन महीने पहले ही नौकरी में शामिल हुए थे सहायक अभियंता शशिकुमार रेड्डी. वह इस हातदसे में किसी तरह बच पाए थे. वह अभी भी मानसिक रूप से उबर नहीं पाए हैं. SLBC परियोजना के मुख्य अभियंता अजय कुमार के अनुसार, ‘रेड्डी पानी के तेज बहाव में लगभग तीन किलोमीटर तक बह गए. पानी का इतना अधिक दबाव था कि उनके कपड़े पूरी तरह फट गए और उनके दोनों घुटने बुरी तरह घायल हो गए.

बहुत मुश्किल काम है
एक अन्य इंजीनियर ए. श्रीनिवास ने बताया कि इस सुरंग में टनल बोरिंग मशीन (TBM) चलाते समय काम करना बेहद कठिन हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘मशीन के चारों ओर बहुत कम जगह होती है, और ऊपर ही एकमात्र स्थान होता है, जहां सीमेंट-कंक्रीट के ब्लॉक फिट किए जाते हैं. ऐसे में जब कोई बड़ा हादसा होता है, तो आगे काम कर रहे मजदूरों के बचने की संभावना बहुत कम होती है.

हर मिनट 3200 लीटर पानी बहकर आ रहा
श्रीनिवास ने आगे बताया कि सुरंग में हर मिनट लगभग 3,200 लीटर पानी बहकर आ रहा है. अधिकारियों को लगातार डिवॉटरिंग (पानी निकालने का कार्य) करना पड़ रहा है. लेकिन, कीचड़ के कारण यह काम मुश्किल हो रहा है. AGM दीपक जैन ने कहा कि, ‘यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि मशीन के पास से पानी और मिट्टी का बहाव दोबारा नहीं होगा. अगर पानी और मिट्टी लगातार छत से गिरते रहे, तो जब तक दोषपूर्ण स्थान की पहचान नहीं हो जाती, तब तक काम जारी रखना संभव नहीं होगा.’

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