सरकार ने खत्म कर दिया 80सी, अब कैसे मिलेगा ELSS, PPF, NPS वाला 1.5 लाख का लाभ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी को लोकसभा में जो नया आयकर बिल पेश किया. यह बिल अभी चयन समिति के पास है और इसे कानून बनने में कुछ समय लगेगा, लेकिन इसके प्रावधानों ने पहले ही इसे टैक्सपेयर्स के बीच चर्चा का विषय बना दिया है. वैसा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नए बिल में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, न ही कैपिटल गेन्स टैक्स में कोई संशोधन प्रस्तावित है. इस बिल का मुख्य उद्देश्य टैक्स से जुड़े नियमों की भाषा को सरल बनाना है, ताकि आम आदमी के लिए इसे समझना और लागू करना आसान हो सके.

वैसे एक बड़ा बदलाव है, जिसके बारे में आपको मालूम होना चाहिए. अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) चुनकर टैक्स भरते हैं, तो आप धारा 80C के तहत टैक्स बचाने के विभिन्न विकल्पों से भली-भांति परिचित होंगे. इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), जीवन बीमा प्रीमियम, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), और टैक्स-सेवर डिपॉजिट जैसे निवेश इस धारा के तहत आते हैं. इन सभी विकल्पों पर 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट मिलती है.

80C वाले प्रावधान अब 123 में
नए बिल में 80सी को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है. 80सी के तहत मिलने वाली सारी छूट अब धारा 123 के तहत आएंगी. इस धारा के अनुसार, “किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को टैक्स वर्ष में भुगतान या जमा की गई राशि पर छूट मिलेगी, जो शेड्यूल XV में दी गई राशियों के कुल के बराबर होगी, लेकिन यह छूट 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी.”

मनीकंट्रोल ने टैक्स विशेषज्ञ मयंक मोहंका (टैक्सआराम.कॉम के संस्थापक) के हवाले से लिखा, “नए आयकर बिल में धारा 123, वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के अनुरूप है. इसे शेड्यूल XV के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जो बिल का हिस्सा है और धारा 80C के तहत टैक्स बचत के विभिन्न विकल्पों का विस्तृत विवरण देता है.”

यह नया आयकर बिल 622 पन्नों का है और इसमें 536 धाराएं शामिल हैं. वहीं, वर्तमान आयकर अधिनियम में 823 पन्नों में 298 धाराएं हैं. नए बिल में वर्तमान आयकर अधिनियम की हर धारा का एक खंड है, सिवाय उन धाराओं के जो अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं.

टैक्स कंपास के संस्थापक अजय रोट्टी के अनुसार, “1961 के आयकर अधिनियम में धारा 80, 80C, 80D, 80E आदि शामिल हैं. वर्तमान आयकर अधिनियम में अंतिम धारा संख्या 298 है. लेकिन नए बिल में धाराओं की री-नंबरिंग की गई है, जिससे धाराओं की संख्या 500 से अधिक हो सकती है. हालांकि, समग्र रूप से यह बिल कर कानूनों को सरल बनाता है.”

Related Articles

Back to top button