भारत -बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने पर क्यों होता है विवाद, क्या है इसका समझौता

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध इन दिनों ज्यादा ही तल्ख हैं. दोनों देशों की सीमा पर फेंसिंग को लेकर नया विवाद पैदा हो गया है. बांग्लादेश ने ढाका स्थित भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया. इस पर आपत्ति जताई. मुलाकात में कहा गया कि भारत दोनों देशों की सीमा पर पांच जगहों पर फ़ेंसिंग करने की कोशिश कर रहा था, जो दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है.

जानते हैं कि सीमा पर कटीले तार लगाने को लेकर दोनों देशों के बीच क्या कोई समझौता है. इस समझौते में क्या कहा गया है. दोनों देशों के बीच सीमा गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले चार एमओयू हैं. जो 1975 से वर्ष 2021 तक हुए हैं या उन्हें अपडेट किया गया.

इसमें तय किया गया कि आपसी सहमति के बिना शून्य रेखा के 150 गज के भीतर रक्षा क्षमता वाला कोई काम या निर्माण नहीं होगा. भारत के बाड़ लगाने को इस समझौते के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है.

हाल ही में बांग्लादेश के तीन जिलों की सीमाओं पर बीएसएफ़ बाड़ लगाने का काम कर रही थी, जिसके निर्माण पर बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड या बीजीबी ने आपत्ति की. जिससे दोनों देशों की सीमा पर तनाव पैदा हो गया. भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा 4 हजार 156 किलोमीटर की सीमा में से 3271 किलोमीटर पर भारत ने बाड़ लगा दी है. इसमें 885 किमी सीमा पर बाड़ लगाना बाक़ी है. बीजीबी ने इसके कई हिस्सों में निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताई है.

बांग्लादेश में कुछ राजनीतिक दल या समूह बाड़ लगाने को भारत की आक्रामकता या वर्चस्ववादी नीति के रूप में देखते हैं. इससे राजनीतिक विवाद बढ़ता है. दोनों देशों में सीमावर्ती इलाकों में बाड़ लगाने का मुद्दा स्थानीय राजनीति में भी संवेदनशील होता है, जहां स्थानीय नेता इसे अपने समुदायों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में इसे पेश करते हैं. मोटे तौर पर ये मामला संवेदनशील है, लिहाजा दोनों पक्ष ये चाहते हैं कि जब भी ऐसा हो तब उन्हें ना केवल विश्वास में लिया जाए बल्कि समुचित तरीके से सूचित भी किया जाए.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button