डिजिटल फर्जीवाड़े से बचने का हथियार है व्‍हाइटलिस्‍ट! ये कैसे बचा सकता है आम आदमी का पैसा

भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था में तेजी से उछाल आया है. बैंकिंग की पहुंच से संचालित होने वाले डिजिटल लोकतंत्रीकरण ने डिजिटल सेवाओं के लिए एक विशाल बाजार तैयार किया है. 90 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन इंटरनेट कनेक्शनों के साथ, भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम ने सॉफ़्टवेयर और कुशल श्रम के निर्यातक से दुनिया के सबसे बड़े रियल-टाइम भुगतान बाजार के रूप में खुद को परिवर्तित किया है. इसमें डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर गेम खेलने वालों की भी बड़ी संख्‍या है, जिसका बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन, बढ़ते उपभोक्‍ताओं के साथ डिजिटल धोखाधड़ी भी बढ़ती जा रही है. इससे निपटने के लिए व्‍हाइटलिस्‍ट एक अचूक हथियार बन सकता है.

व्‍हाइटलिस्टिंग डिजिटल उपभोक्‍ताओं के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम कर सकता है. उन्‍होंने बताया कि साल 2017 और 2023 के बीच खुदरा डिजिटल भुगतानों में 50.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आज हमारा डिजिटल इकोसिस्टम दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ बाजार माना जा रहा है. 2014 में इसने भारत की GDP का 4.5 प्रतिशत हिस्सा लिया था और 2026 तक इसके GDP में 20 प्रतिशत योगदान देने की उम्मीद है. इस बड़े बदलाव में कई योगदानकर्ता हैं, जिनमें से एक गेमिंग सेक्टर है. 45 करोड़ से अधिक गेमर्स ( PWC के अनुसार जिनमें से 0.18 करोड़ ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ी हैं) के साथ भारतीय ऑनलाइन गेमिंग बाजार के 2023-2028 के बीच 14.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ 66,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.

उपभोक्ता कमजोरियों का शोषण
इस तेजी से हो रही वृद्धि के साथ कई साइबर संबंधी समस्याएं भी सामने आई हैं. आज हम कई ऐसे मामलों में वृद्धि देख रहे हैं जहां ग्राहक धोखाधड़ी करने वाले तत्वों के जाल में फंस गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है. अगस्त 2024 में भारतीय जांच एजेंसियों ने एक फिनटेक घोटाले का भंडाफोड़ किया, जिसमें भारतीय और चीनी नागरिकों, इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स, कंपनियों और क्रिप्टो एक्सचेंजों के जटिल नेटवर्क के माध्यम से धन की हेराफेरी की जा रही थी. कई मामलों में एजेंसियों ने चीनी लोन ऐप्स पर शिकंजा कसा. अहमदाबाद स्थित एक अन्य फिनटेक कंपनी पर आरोप लगा कि उसने अवैध सट्टेबाजी के जरिये सैकड़ों करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 150 बैंक खातों का उपयोग किया. इन सभी मामलों में उपभोक्ता इस बात से अनजान थे कि वे जिन ऐप्स का उपयोग कर रहे थे वे अवैध थे, और उनका डेटा अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था.

क्‍या है व्हाइटलिस्ट फ्रेमवर्क
गेमिंग सेक्टर में इस समस्या से निपटने का एक व्यावहारिक तरीका ‘व्हाइटलिस्ट’ फ्रेमवर्क बनाना हो सकता है. सरल शब्दों में, ‘व्हाइटलिस्ट’ एक सिस्टम है जो वैध और अवैध व्यवसायों या ऐप्स के बीच अंतर करता है. यह तंत्र फिनटेक, गेमिंग, क्रिप्टो, ओटीटी या सोशल मीडिया जैसे सभी डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों के लिए समान रूप से प्रभावी हो सकता है. वैध ऐप्स को अवैध ऐप्स से अलग करना एक नियामक पहेली की तरह लग सकता है, लेकिन इसे चार आसान सवालों के माध्यम से सरल बनाया जा सकता है.

क्या कंपनी भारत में पंजीकृत है और उसके कार्यालय भारत में स्थित हैं?
क्या कंपनी भारत में GST का भुगतान करने के लिए पंजीकृत है?
क्या कंपनी खुद घोषणा करती है कि वह अपने क्षेत्र से संबंधित कर, शिकायत निवारण, विज्ञापन और उत्पाद/सेवा की गुणवत्ता पर लागू कानूनों का पालन करती है?
जो व्यवसाय उपरोक्त मानदंडों का पालन करते हैं, उन्हें ‘विश्वास का प्रतीक’ दिया जा सकता है, जो सही और गलत को अलग करने में मदद करेगा.
ऑफलाइन व्हाइटलिस्ट फ्रेमवर्क
साइबरस्पेस और उसमें होने वाले अपराध गुमनामी पर आधारित होते हैं, जहां बेनाम, पहचानहीन तत्व सक्रिय रहते हैं. ‘विश्वास का प्रतीक’ बनाकर, उपभोक्ता वैध व्यवसायों को पहचान सकते हैं जो कानूनी और उच्च क्वालिटी वाली सेवाएं और उत्पाद प्रदान करते हैं. उन्हें अवैध व अस्थायी ऑपरेटरों से अलग कर सकते हैं. इसका एक ऑफलाइन उदाहरण ‘ISI’ मार्क है, जो 1950 से उत्पादों के लिए गुणवत्ता और अनुपालन का एक मानक चिह्न बन गया है. एक तरफ, इसने उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की पहचान करने और उन्हें खरीदने में मदद की और दूसरी तरफ, इसने निर्माताओं के लिए एक मानक स्थापित किया जो बाजार में व्यापार करना चाहते थे. ऐसे ही ‘विश्वास के प्रतीक’ की जरूरत डिजिटल जगत में भी है.

सरकार और कंपनियां मिलकर काम करें
यहां ध्‍यान देने वाली बात ये है कि इस विश्वास-निर्माण के प्रयास की जिम्मेदारी केवल व्यवसायों के कंधों पर नहीं होनी चाहिए. सभी व्यवसाय इसे जरूरी नहीं मान सकते और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्राहक उन ‘विश्वास के प्रतीकों’ पर भरोसा नहीं कर सकते जो निजी व्यवसायों द्वारा बनाए गए हों. लिहाजा तेजी से बदलते डिजिटल दौर से आगे रहने के लिए उद्योग, सरकार और समाज के बीच एक समन्वित और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है. डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के साथ उपभोक्‍ताओं की सुरक्षा हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य, एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण मिशन बन गया है.

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