दोस्ती का बढ़ाया हाथ, फिर छुरा घोंपने लगा चीन, भारत ने तरेरी आंख, शी जिनपिंग को देना पड़ेगा जवाब
लद्दाख में भारत और चीन के बीच तकरीबन साढ़े चार साल पहले टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. दोनों देशों की सेनाएं आपस में उलझ पड़ी थीं. हाथापाई की नौबत आ गई थी. इस घटना के बाद दोनों देशों के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे. बदलते हालात के बीच दोनों देशों ने संबंध को सामान्य बनाने के लिए कई दौर की वार्ता की. आखिरकार घटना के तकरीबन साढ़े चार साल बाद भारत और चीन के बीच सहमति बन गई. रूस के कजान में प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. इसके बाद लद्दाख में LAC पर महीनों से जमी बर्फ पिघलने लगी और पिछले साल इस विवाद को सुलझा लिया गया. दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं और पूर्व की स्थिति बहाल हो गई. अब एक बार फिर से चीन ने अपनी बदनीयती दिखाई है. बीजिंग के इस कदम से लद्दाख रीजन में फिर से तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ गई है.
दरअसल, चीन ने लद्दाख के होतान क्षेत्र में दो काउंटी बनाने की घोषणा की है. जिस रीजन के लिए चीन की ओर से यह ऐलान किया गया है, असल में वह भारत का है. नई दिल्ली का आरोप है कि चीन ने लद्दाख के इस क्षेत्र पर अवैध तरीके से कब्जा रखा है. अब उसी क्षेत्र में दो काउंटी बनाने की घोषणा कर दी गई है. भारत ने पड़़ोसी देश के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भारत ने बीजिंग को सख्त शब्दों में चेतावनी दे डाली है. बता दें कि लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच अक्सर ही तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं. साल 2020 के टकराव के बाद किसी तरह हालात सामान्य हुए थे, लेकिन चीन की टेढ़ी चाल से फिर से मामला गड़बड़ाने की आशंका बढ़ गई है.
भारत का सख्त रुख
लद्दाख के होतान क्षेत्र में दो काउंटी बनाने की चीन की घोषणा के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. भारत ने कहा, ‘हमने चीन के होतान प्रांत में दो नई काउंटियों की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं. भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. नई काउंटियों के निर्माण से न तो क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के संबंध में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी. हमने डिप्लोमेटिक चैनल के माध्यम से चीन के सामने गंभीर विरोध दर्ज कराया है.’
मालदीव पर मीडिया रिपोर्ट का खंडन
भारत ने शुक्रवार को अमेरिकी मीडिया की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि मालदीव की विपक्ष पार्टी ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने के लिए 6 मिलियन डॉलर की मांग की थी. विदेश मंत्रालय ने ऐसी रिपोर्टों को आधारहीन करार दिया. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों ने कहा कि इस मामले मे अमेरिकी मीडिया ने भारत के खिलाफ शत्रुता का परिचय दिया है. बता दें कि ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में एक खबर छपी थी, जिसमें दावा किय गया कि मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू को पद से हटाने के एवज में वहां के विपक्ष ने भारत से बड़ी रकम मांगी थी.