जिंदगी दांव पर लगाकर ट्रेन का सफर, जोनल स्टेशन में हर कदम पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी, नहीं करते मनाही

ट्रेन की गेट पर बैठकर यात्रा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे यात्रियों को मना करने की जवाबदारी प्लेटफार्म पर तैनात जवान की होती है। लेकिन, सामान्य दिनों में एक भी जवान नजर आते। इसके अलावा दिव्यांग व महिला कोच में भी ऐसे यात्रियों का कब्जा रहता है, जिन्हें कोच में चढ़ने की अनुमति तक नहीं है। इसके चलते कभी भी हादसा हो सकता है।

HIGHLIGHTS

  1. रेलवे स्टेशन में यात्री प्रतिदिन जिंदगी दांव पर लगाकर सफर कर रहे हैं।
  2. रेलवे यात्रियों को सुरक्षित यात्रा कराने के लिए दायित्वों का निर्वहन करें।
  3. यात्रियों पर कार्रवाई करने का अधिकार भी आरपीएफ को दिया गया है।

 बिलासपुर। रेलवे स्टेशन में यात्री जिंदगी दांव पर लगाकर सफर कर रहे हैं। सुरक्षा नियमों को लांघकर जिस परिस्थिति में यात्री ट्रेन में चढ़ते हैं, उसकी वजह से कभी भी दुर्घटना हो सकती है। सबसे विडंबना की बात है कि यह उल्लंघन आरपीएफ, जीआरपी के अलावा रेलवे के अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों के सामने हो रहा है। लेकिन, इनमें एक भी यात्रियों को मनाही नहीं करते।

सभी की जिम्मेदारी

रेलवे स्टाफ होने के नाते सभी की जिम्मेदारी बनती है कि यात्री को सुरक्षित यात्रा कराने के लिए दायित्वों का निर्वहन करें। बिलासपुर स्टेशन में यह नजारा प्रतिदिन देखा जा सकता है। कभी भी पटरी पार नहीं करनी चाहिए।
ऐसा करने से इसलिए मना किया जाता है। क्योंकि कभी भी वह ट्रेन की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे यात्रियों पर कार्रवाई करने का अधिकार भी आरपीएफ को दिया गया है। वह रेलवे अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। यह कार्रवाई विशेष अभियान के दौरान होती है।
  • अभियान समाप्त होते ही ऐसे यात्रियों पर कार्रवाई तो दूर मनाही करने वाला कोई भी स्टेशन में नहीं होता।
  • इसी तरह ट्रेन की गेट पर बैठकर यात्रा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
  • इसके बावजूद जोनल स्टेशन से छूटने वाली अधिकांश ट्रेनें खासकर लोकल भी यात्री गेट पर ही बैठकर यात्रा करते हैं।
  • अव्यवस्था के लिए रेल प्रशासन जिम्मेदार कहीं न कहीं इस अव्यवस्था के लिए रेल प्रशासन जिम्मेदार है।
  • जोनल स्टेशन में अधिकांश ट्रेनों को प्लेटफार्म दो-तीन या चार पांच में लिया जाता है।
  • प्लेटफार्म एक पर केवल मालगाड़ी ही चलती है।
यात्री जब ठीक ट्रेन छूटने के समय पहुंचते है, तो वह पटरी पार करते हैं। इन्हें रोकने- टोकने वाला कोई नहीं होता। इसके अलावा ट्रेनों के रद होने के कारण चलने वाली ट्रेनों में इतनी अधिक भीड़ हो जाती है कि पैर रखने की जगह नहीं रहती। भीड़ से बचने के लिए यात्री गेट पर बैठकर यात्रा करते हैं।

पुरी- अहमदाबाद एक्सप्रेस में आरपीएफ गुप्तचर शाखा की कार्रवाई, 46 किलो गांजा बरामद

ट्रेन के एसी कोच से गांजा की तस्करी हो रही है। पुरी-अहमदाबाद एक्सप्रेस में जांच के दौरान ऐसा ही मामला सामने आया है। आरपीएफ गुप्तचर शाखा की टीम ने दो आरोपितों को 46.350 किलोग्राम गांजा के साथ पकड़ा है। मामला शुक्रवार का है।

नागपुर रेल मंडल की आरपीएफ अपराध गुप्तचर शाखा प्री -इलेक्शन सीजर (महाराष्ट्र, झारखण्ड) के मद्देनजर जांच कर रही थी। 12843 पुरी-अहमदाबाद एक्सप्रेस में गुप्त निगरानी के दौश्रान ए-2 कोच के सीट नंबर पांच पर दो लोगों के दो ट्राली बैग, दो पिट्टू बैग एवं एक थैला रखा हुआ था।

पूछताछ में आरोपित सुदीप पाइक और सुदीप लीमा निवासी ओडिशा पहले तो गुमराह करने का प्रयास करने लगे। लेकिन, जब सख्ती बरती गई और तलाशी लेने पर गांजा बरामद हुआ। गांजा पलासा से नंदुरा ले जाना स्वीकार किया।

टीम ने इस मामले की सूचना मंडल सुरक्षा आयुक्त नागपुर को दी। इसके बाद एनडीपीएस के तहत नायब तहसीलदार मोहाड़ी के समक्ष नियमानुसार कार्रवाई की गई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button