Hindi Diwas Poems In Hindi : छात्रों के लिए हिंदी दिवस की आसान कविताएं, फटाफट हो जाएंगी याद
Happy Hindi Diwas Poems 2024: हिंदी भारत में सबसे अधिक और दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस का दिन भाषा की महत्वता और इसके प्रचार-प्रचार के प्रति जागरूरता बढ़ाने के लिए समर्पित है। 1949 में हिंदी को भारत की सरकारी भाषा के रूप में मान्यता दी गई।
HIGHLIGHTS
- हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ावा देना है।
- हिंदी भाषा की विविधता और समृद्धि को उजागर किया जाता है।
- .हिंदी दिवस समाज में सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने का माध्यम है।
डिजिटल डेस्क, इंदौर। Happy Hindi Diwas Poems 2024: हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा को समर्पित है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्ज दिया गया था। यह दिन भारत के लिए गौरव का पल था।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर 1953 से पूरे देश में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगे। हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम आयोजित होते हैं। हिंदी भाषा के क्षेत्र में योगदान करने वालों का सम्मान किया जाता है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में हिंदी कविता प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, पोस्टर आदि कार्यक्रम का आयोजन होता है।
अगर आप हिंदी दिवस पर अपने स्कूल या कॉलेज में कविता पढ़ना चाहते हैं, तो नीचे दी गई कविताओं में एक चुन सकते हैं।
एक डोर में सबको जो है बांधती वह हिंदी है
हर भाषा को सगी बहन जो मानती वह हिंदी है
भरी-पूरी हो सभी बोलियां, यही कामना हिंदी है
गहरी को पहचान आपसी, यही साधना हिंदी है
सौत विदेशी रहे न रानी, यही भावना हिंदी है
तत्सम, तद्धव, देशी, विदेशी, सब रंगो को अपनाती
जैसे आप बोलना चाहें, वहीं मधुर वह मन भाती
– गिरिजाकुमार माथुर
हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतन, वाणी का शुभ वरदान है
हिंदी हमारी वर्तनी, हिंदी हमारा व्याकरण
हिंदी हमारी संस्कृति, हिंदी हमारा आचरण
हिंदी हमारी वेदना, हिंदी हमारा गान है
हिंदी हमारी चेतना, वाणी का शुभ वरदान है
हिंदी हमारी आत्मा है, भावना का साज है
हिंदी हमारे देश की हर आवाज है
– कवि सुनील जोगी
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।
उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय
निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय
-भारतेंदु हरिश्चंद
गूंजी हिंदी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार
राष्ट्र संघ के मंच से, हिंदी का जयकार
हिंदी-हिंदी में बोला, देख स्वभाषा प्रेम
विश्व अचरज से डोला, कह कैदी कविराय
मेम की माया टूटी, भारत माता धन्य, स्नेह की सरिता फूटी।