80 साल पहले ”शिव भगवान” ने रखी थी साइंस कालेज की नींव
1944 में समाजसेवी शिव भगवान रमेश्वरदीन द्वारा स्थापित शासकीय ई. राघवेंद्र राव पोस्ट ग्रेजुएट (साइंस कालेज) बिलासपुर, विज्ञान शिक्षा का एक प्रतिष्ठित केंद्र है। प्रारंभ में एक निजी कालेज के रूप में स्थापित, इस संस्थान ने उच्च शिक्षा में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
HIGHLIGHTS
- कालेज विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा का प्रमुख केंद्र
- अंचल में विज्ञानी की ज्योति जलाने वाला प्रतिष्ठित संस्था
- इतिहास के पन्नों में कई विशिष्ट उपलब्धियां शामिल
बिलासपुर। साइंस कालेज को 1986 में इसे माडल कालेज का दर्जा मिला और तब से यह उत्कृष्टता की मिसाल कायम कर रहा है। इतिहास के पन्नों में कई विशिष्ट उपलब्धियां इस संस्थान ने हासिल किया है। यहां प्रवेश हर युवा का सपना होता है। संस्था के उप प्राचार्य प्रो.यूके श्रीवास्तव बताते हैं कि यह कालेज अपने उच्च शैक्षणिक मानकों और अनुसंधान कार्यों के लिए जाना जाता है, जिसमें छात्रों और शोधार्थियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
छात्रों ने संस्था की प्रतिष्ठा बढ़ाई
राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इसके छात्रों और पूर्व छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर संस्था की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। राज्य के विज्ञान शिक्षा में एक महत्वपूर्ण संस्थान है। इसे प्रारंभ में निजी संस्था एसबीआर कालेज के रूप में स्थापित किया गया था। जिसका उद्देश्य क्षेत्र के विद्यार्थियों को सस्ती उच्च शिक्षा प्रदान करना था।
1972 में इसे मध्य प्रदेश सरकार ने अधिग्रहित कर लिया और 1986 तक इसे माडल कॉलेज का दर्जा दिया गया। उसी वर्ष यूजीसी ने मान्यता देकर विज्ञान संकाय को एक स्वतंत्र स्नातकोत्तर विज्ञान माडल कालेज के रूप में विकसित किया गया। 1987 में इस कालेज को स्वायत्त घोषित किया गया। 1993-94 में इसे पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई।
सेंटर फार एक्सीलेंस इन साइंस
2005 में नैक ने इसे बी प्लस ग्रेड दिया। साल 2006 में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे ‘सेंटर फार एक्सीलेंस इन साइंस’ का दर्जा दिया। साल 2010-11 में इसे ‘कालेज विद पोटेंशियल फार एक्सीलेंस’ का दर्जा मिला और 2015 में इसे नैक द्वारा ए ग्रेड से नवाजा गया।
पहले यह कालेज पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से संबद्ध था और अब वर्तमान में यह अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर से संबद्ध है। इतने विशिष्ट उपलब्धियों की वजह से ही यह सरकारी संस्था प्रदेश ही नहीं देश में अपनी अलग पहचान रखता है।
पीएचडी में शतक
इस कालेज के 11 विभागों में 30 नियमित फैकल्टी और छह रिसर्च सेंटर हैं, जो अंडर ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करते हैं। कालेज का 30 एकड़ में फैला हरित परिसर, स्मार्ट क्लासेस, प्रयोगशालाएं, ऑडिटोरियम, और अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। एनसीसी, एनएसएस, युवा रेड क्रास जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाजसेवा और नैतिक मूल्यों का विकास होता है।
यह कालेज विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक प्रमुख केंद्र है। अब तक 100 से अधिक शोधार्थियों को पीएचडी. की डिग्री प्रदान की जा चुकी है। प्राचार्य डा.ज्योतिरानी सिंह के मार्गदर्शन में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुका हैं, और इसके पूर्व छात्र विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं।