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NDA के लिए आसान नहीं होगा स्पीकर का चुनाव, I.N.D.I.A गठबंधन से मिलेगी कड़ी टक्कर

सोमवार को शुरु हुए संसद सत्र में विपक्ष बेहद आक्रामक नजर आया। ऐसे में 26 जून को होने वाले लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर सबकी नजर है। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि गेंद एनडीए के पाले में है। एनडीए अध्यक्ष व उपाध्य के चुनाव को लेकर आम सहमति नहीं बनाता है, तो विपक्ष चुनाव लड़ेगा। अब 26 जून को देखना होगा कि स्पीकर किसका बनता है?

HIGHLIGHTS

  1. 26 जून को स्पीकर का चुनाव होने वाला है।
  2. विपक्ष प्रोटेम स्पीकर के निर्वाचन को लेकर है नाराज।
  3. आपसी सहमति से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव चाहता है विपक्ष।

एएनआई, नई दिल्ली। सोमवार को संसद में सत्र में प्रोटेम स्पीकर ने सभी नवर्निवाचित सांसदों को शपथ दिलाई। इस दौरान विपक्ष ने नीट का मुद्दा सदन में उठाकर जमकर हंगामा किया। आने वाले दो दिनों में सरकार और विपक्ष की लड़ाई लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर तेज हो जाएगी। एनडीए के लिए इस बार स्पीकर का पद हासिल करना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि भाजपा अपने सहयोगियों के भरोसे पर है।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने स्पीकर पद को लेकर आईएनडीआईए गठबंधन की मंशा को साफ करते हुए कहा कि 26 जून को स्पीकर पद के लिए एनडीए के खिलाफ हम चुनाव लड़ेंगे।
 

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि सदन की यह सहमति है कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुना जाना चाहिए या मनोनीत किया जाना चाहिए, लेकिन यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोडिकुन्नील सुरेश के कांग्रेस से होने के कारण उन्हें प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया।

स्पीकर पद के लिए लड़ेंगे चुनाव

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हम अध्यक्ष पद के साथ-साथ उपाध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव लड़ेंगे। अगर, सरकार की विपक्षी दलों के साथ चर्चा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर आम सहमति नहीं बनती है, तो हम निश्चित रूप से चुनाव लड़ेंगे।

भाजपा ने छीनी संवैधानिक संस्थाओं की आजादी

उन्होंने कहा कि आपातकाल पर पीएम मोदी की टिप्पणी पर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि बीजेपी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है। इन संस्थाओं की आजादी छीन ली गई है।

संविधान में बदलाव की नहीं देंगे अनुमति

उन्होंने कहा कि संविधान को बदलने की सरकार की मंशा थी, इसलिए संविधान की रक्षा और सुरक्षा के लिए विपक्ष ने प्रतीकात्मक रूप से संविधान को अपने पा रखा है। हमने कहा है कि हम संविधान में कभी भी बदलाव की अनुमति नहीं देंगे, जिससे भारत को एक धार्मिक राज्य बन जाए। भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। हम संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा करेंगे।

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