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  Raipur Crime: फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच रहे थे ट्रक, तीन आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज, ऐसे हुआ राजफाश

Raipur Crime News: राजधानी में फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रक बेचने का मामला सामने आया है। पुलिस ने तीन आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। आरोपितों ने 16 लाख की धोखाधड़ी की है।

HIGHLIGHTS

  1. फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रक बेचने का मामला सामने आया
  2. पुलिस ने तीन आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज
  3. आरोपितों ने 16 लाख की धोखाधड़ी की

रायपुर। Raipur Crime News: राजधानी में फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रक बेचने का मामला सामने आया है। पुलिस ने तीन आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। आरोपितों ने 16 लाख की धोखाधड़ी की है। इससे पहले भी फर्जी दस्तावेज के सहारे ट्रक बेचने वाले गिरोह का राजफाश हुआ था।

टिकरापारा थाने में कंचन जंगा अपार्टमेंट कबीर नगर निवासी आनंद कुमार सहाय ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि वे गुजरात-महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट का संचालन करते हैं। जून-जुलाई 2022 में व्यवसाय को बढ़ाने सेकंड हैंड ट्रक खरीदने जैन आटो एवं फाइनेंस के संचालक नवनीत जैन से पचपेड़ी नाका में संपर्क किया। नवनीत ने अपने कर्मचारी बिजेंदु कुमार को गाड़ी दिखाने कहा।

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इसके बाद कर्मचारी ने टाटीबंद में पांडेय नाम के यार्ड में लेजाकर बहुत पुरानी गाड़ी दिखाई और कीमत भी बताई। ट्रक पसंद आने पर आनंद ने नवनीत के आफिस आकर 15 लाख 51 हजार रुपये में सौदा किया। इसके बाद वाहन स्वामी प्रतीक रमेश महाशय ने विक्रय इकरारनामा तैयार किया। इसके बाद सभी कोर्ट में मिले।

बयाना के रूप में 51 हजार रुपये नकद लिए गए। इकरारनामा की मूल प्रति दे दी गई। वहीं नवनीत जैन ने उक्त वाहन का चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी से 16 लाख का लोन फाइनेंस करवाया। 15 लाख 83 हजार रुपये नवनीत जैन के कंपनी के खाते में प्राप्त किए गए। प्रार्थी ट्रक को ट्रांसपोर्ट के काम में लगाकर समय पर लोन का किस्त फाइनेंस कंपनी में जमा कर रहा था।naidunia_image

ऐसे उजागर हुआ मामला

प्रार्थी के पास अचानक क्षेत्रीय परिवहन विभाग  रायपुर से एक वर्ष बाद पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें वाहन का सत्यापन कराकर प्रतिवेदन पेश करने आदेशित दिया गया। प्रार्थी ने नवनीत जैन से संपर्क किया और वाहन का सत्यापन करा कर प्रमाण पत्र देने कहा। नवनीत लगातार वाहन का सत्यापन कराकर प्रमाण पत्र दिलाने में हिला हवाला करता। प्रार्थी को शक हुआ तो ट्रक की जांच करवाई तो पता चला कि वाहन का फर्जी दस्तावेज बना फाइनेंस कराकर गाड़ी बेचकर धोखाधडी की गई।

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