Kanker Lok Sabha Chunav: कांकेर सीट के लिए भाजपा-कांग्रेस में कड़ा संघर्ष, 10 उम्‍मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन"/>

Kanker Lok Sabha Chunav: कांकेर सीट के लिए भाजपा-कांग्रेस में कड़ा संघर्ष, 10 उम्‍मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन

HIGHLIGHTS

  1. – दूसरे चरण में होगा मतदान, 10 उम्मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन

राज्य ब्यूरो, रायपुर। Kanker Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ में 11 लोकसभा क्षेत्रों में कांकेर ऐसी सीट है, जहां चुनाव हमेशा ही दिलचस्प होता है। इसका कारण यहां के प्रत्याशी और जनता का मूड है। कांकेर सीट पर केवल दो नेताओं ने एक से अधिक बार जीत दर्ज की है, जबकि अन्य प्रत्याशियों को कभी भी जनता ने दोबारा मौका नहीं दिया है।

कांकेर सीट में अब तक हुए सभी लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही चुनावी टक्कर रही है। इस बार भी इन्हीं दो पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला है। बस्तर से अलग होकर कांकेर जिले के गठन के बाद से यहां की लोकसभा सीट पर अब तक स्थानीय प्रत्याशी पर ही मतदाताओं ने विश्वास जताया है।

कांकेर संसदीय सीट पर कांग्रेस का नहीं खुल पाया खाता

यही कारण है कि भाजपा ने भोजराज नाग तो कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को टिकट दिया है। लोकसभा चुनाव-2019 में बीरेश ठाकुर को भाजपा के माेहन मंडावी से महज सात हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष- 1998 में कांकेर जिला गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांकेर संसदीय सीट पर कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया है।

लेकिन, विगत विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए यहां मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। कांकेर लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें कांकेर, अंतागढ़, केशकाल, सिहावा, संजारी बालोद, डौंडीलोहारा, गुंडरदेही और भानुप्रतापपुर शामिल हैं। कांकेर, अंतागढ़ और केशकाल सीट पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। कांकेर लोकसभा से सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का रिकार्ड कांग्रेस के अरविंद नेताम के नाम रहा है।

उन्होंने 1971, 1980, 1984, 1989 और 1991 में चुनाव जीतकर देश की महापंचायत संसद में प्रतिनिधित्व किया। यहां 1996 में कांग्रेस के छबीला नेताम कांग्रेस के आखिरी सांसद थे। उसके बाद 1998 से लेकर 2014 तक लगातार चार बार सोहन पोटाई को कांकेर के मतदाताओं का साथ मिला और वे सांसद रहे। वर्ष-2014 में हुए चुनाव में विक्रम उसेंडी और 2019 में मोहन मंडावी को जीत मिली। गौरतलब है कि कांकेर सीट के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। यहां से 10 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है।

जिसे मिलेगा आधी आबादी का साथ वो बनेगा सांसद

कांकेर लोकसभा सीट पर महिला मतदाताओं का दबदबा देखने को मिला है। पिछले आंकड़ों पर यदि गौर करें तो महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। नारी शक्ति जिसे चाहे उसे जीत दिला सकती है। पहले महिला मतदाताओं की संख्या कम थी, जो वर्तमान में बढ़ गई है। कांकेर लोकसभा में 16,50,692 मतदाता हैं। इसमें 8,07,549 पुरुष, 8,43,124 महिला और 19 अन्य शामिल हैं। वर्ष- 2014 के लोकसभा चुनाव में 69 प्रतिशत महिलाओं ने सांसद चुनने में अहम भूमिका निभाई थी। जबकि, वर्ष- 2019 के लोकसभा चुनाव में यह प्रतिशत बढ़कर 73.32 प्रतिशत तक पहुंच गया था।

कुल जनसंख्या का 42 प्रतिशत आदिवासी

चित्रोतपला यानी महानदी के तट से लगे हुए विशाल भूभाग का काफी हिस्सा कांकेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। सुरक्षित सीट होने के कारण यहां से आदिवासी नेता ही चुनाव लड़ते रहे हैं। यहां की कुल जनसंख्या करीब 26 लाख है और आदिवासियों का प्रतिशत यहां करीब 42 प्रतिशत है। यहां के मुख्य मुद्दे भी आदिवासियों से संबंधित होते हैं। इस क्षेत्र का काफी हिस्सा आज भी नक्सलियों का दंश झेल रहा है।

इस क्षेत्र में महानदी बहती है तो गढ़िया पहाड़ यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। प्राचीन काल में कंक ऋषि ने यहां पर आश्रम स्थापित कर तपस्या किया था। इस क्षेत्र को कौकर्य, कंकण और कंकारय के नाम से भी जाना जाता था।

पहाड़ी पर स्थित किला यहां के इतिहास की गवाही देता है। नवरात्रि में पहाडि़यों पर स्थित योगमाया मां कांकेश्वरी देवी के मंदिर में ज्योति कलश की स्थापना और मेला उत्सव होता है। इसी क्षेत्र में पहाड़ पर नील गोंदी नामक जगह से दूध नदी निकलती है। यहां का मलांजकुडुम झरना पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है।

लोकसभा चुनाव में वर्षवार मतदाताओं का प्रतिशत

वर्ष पुरुष वोट प्रतिशत महिला वोट प्रतिशत
1971 56.03 34.88
1977 60.16 42.46
1980 56.73 39.7
1984 61.08 46.37
1989 60.1 45.88
1991 45.16 28.86
1996 67.11 51.46
1998 67.4 54.44
1999 65.14 47.87
2004 55.38 40.8
2009 60.52 53.81
2014 71.34 69.05
2019 74.85 73.32

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