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Holi 2024: भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए होली पर करें ये खास उपाय, बनी रहेंगी खुशियां

HIGHLIGHTS

  1. होली के दिन लोग विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
  2. जो इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं, उनके रिश्ते में मधुरता बनी रहती है।
  3. राधा-कृष्ण स्तोत्र और अष्टकम का पाठ बहुत ही शुभ माना जाता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Holi 2024: होली हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। यह दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। होली के दिन लोग विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं, उनके रिश्ते में मधुरता बनी रहती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ-साथ इस दिन राधा-कृष्ण स्तोत्र और अष्टकम का पाठ करना चाहिए। यह बहुत ही शुभ माना जाता है।

॥श्री राधा कृष्ण अष्टकम॥

चथुर मुखाधि संस्थुथं, समास्थ स्थ्वथोनुथं ।

हलौधधि सयुथं, नमामि रधिकधिपं ॥

भकाधि दैथ्य कालकं, सगोपगोपिपलकं ।

मनोहरसि थालकं, नमामि रधिकधिपं ॥

सुरेन्द्र गर्व बन्जनं, विरिञ्चि मोह बन्जनं ।

वृजङ्ग ननु रञ्जनं, नमामि रधिकधिपं ॥

मयूर पिञ्च मण्डनं, गजेन्द्र दण्ड गन्दनं ।

नृशंस कंस दण्डनं, नमामि रधिकधिपं ॥

प्रदथ विप्रदरकं, सुधमधम कारकं ।

सुरद्रुमपःअरकं, नमामि रधिकधिपं ॥

दानन्जय जयपाहं, महा चमूक्षयवाहं ।

इथमहव्यधपहम्, नमामि रधिकधिपं ॥

मुनीन्द्र सप करणं, यदुप्रजप हरिणं ।

धरभरवत्हरणं, नमामि रधिकधिपं ॥

सुवृक्ष मूल सयिनं, मृगारि मोक्षधयिनं ।

श्र्वकीयधमययिनम्, नमामि रधिकधिपं ॥

॥श्री राधा कृष्ण स्तोत्र॥

वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससम् ।

सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम् ॥

राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतम् ।

राधासेवितपादाब्जं राधावक्षस्थलस्थितम् ॥

राधानुगं राधिकेष्टं राधापहृतमानसम् ।

राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम् ॥

राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभम् ।

राधासहचरं शश्वत् राधाज्ञापरिपालकम् ॥

ध्यायन्ते योगिनो योगान् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम् ।

तं ध्यायेत् सततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम् ॥

निर्लिप्तं च निरीहं च परमात्मानमीश्वरम् ।

नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनम् ॥

यः सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परम् ।

योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ॥

बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणम् ।

वेदवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम् ॥

योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ।

गन्धर्वेण कृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतः शुचिः ।

इहैव जीवन्मुक्तश्च परं याति परां गतिम् ॥

हरिभक्तिं हरेर्दास्यं गोलोकं च निरामयम् ।

पार्षदप्रवरत्वं च लभते नात्र संशयः ॥

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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