Ramotsav In Raipur: राम धुन पर भाव-विभोर हुए लोग, सीएम साय ने कहा- आदिवासी समुदाय प्रभु श्रीराम के सबसे करीब
HIGHLIGHTS
- नईदुनिया रायपुर की ओर से सिविल लाइन में आयोजित श्रीरामोत्सव में वक्ताओं ने रखे विचार।
- श्रीराम का साथ वनवासी बंधुओं ने दिया था- सीएम साय।
रामकृष्ण डोंगरे, रायपुर (नईदुनिया)। आदिवासी समुदाय भगवान श्रीराम के सबसे ज्यादा करीब हैं। मतांतरण करने वाले भरमाते हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं, जबकि लंका में रावण के वध में प्रभु श्रीराम का साथ वनवासी बंधुओं ने भी दिया था। ये कहना है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का। वह सिविल लाइंस स्थित वृंदावन हाल में बुधवार को नईदुनिया की ओर से आयोजित श्रीरामोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उद्गार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान पूरा माहौल प्रभु श्रीराम के भक्ति भाव से ओत-प्रोत था। सभागार जय श्रीराम के जयघोष से गूंजता रहा। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार नर्मदा प्रसाद मिश्र ‘नरम’ ने किया। कार्यक्रम में रायपुर के संपादकीय प्रभारी सतीश चंद्र श्रीवास्तव एवं अन्य मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य में हमारी सरकार मोदी की गारंटी को पूरा करने में जुट गई है। कैबिनेट के फैसले के बाद रामलला दर्शन योजना के तहत पहली ट्रेन सात फरवरी को दुर्ग से रवाना होगी। एक सप्ताह के अंतराल के बाद हम यहां से श्रद्धालुओं को सर्वसुविधायुक्त ट्रेन से अयोध्या जाएंगे। इसलिए आप निश्चिंत रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में रामभक्ति का सुंदर माहौल तैयार हुआ है। सैकड़ों मानस मंडलियां मानस का पाठ कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी मैं बालोद जिले के गुंडरदेही में आयोजित श्रीरामचरितमानस के वितरण समारोह से लौटकर आ रहा हूं। कांकेर के सांसद मोहन मंडावी ने 3000 प्रतियों का वितरण किया। इस तरह अब तक उनकी ओर से श्रीरामचरितमानस की 51 हजार प्रतियां बांटने का रिकार्ड बन चुका है। सांसद मंडावी पिछले 17 वर्षों से घर-घर रामचरितमानस की प्रतियां पहुंचाने के अभियान में जुटे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम छत्तीसगढ़ वाले तो प्रभु श्रीराम के ननिहाल के है। हमने 3000 टन सुंगधित चावल और सब्जियां भेजी है। इसके साथ ही सैकड़ों डाक्टर भी रामभक्तों की सेवा में गए है। साय ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वर्षों से जो भव्य राम मंदिर का सपना देखा था। वह पूरा हो रहा है। देश ही नहीं दुनिया भर में राम भक्तों में इस उत्सव को लेकर भारी उत्साह है। आज नईदुनिया समूह यह सुंदर कार्यक्रम कर रहा है अभी मैंने यहां वक्ताओं को सुना भी।
भगवान का जब जन्म, तभी मुहूर्त: स्वामी मैथिलीशरण
भगवान का जब जन्म हो तभी मुहूर्त हो जाता है। यह कहते हुए रामकथा मर्मज्ञ संत स्वामी मैथिलीशरण ने मुहूर्त विवाद का पटाक्षेप करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि मुहुर्त सांसारिक कार्यों के लिए और आम इंसानों के लिए होता है। किसी का जन्म और मृत्यु का मुहूर्त केवल भगवान के वश की बात है, इंसान किसी के जन्म, मृत्यु का मुहूर्त नहीं निकाल सकता। भगवान मुहूर्त देखकर अवतार नहीं लेते। भगवान जब अवतार लेते हैं तो अपने आप श्रेष्ठ मुहूर्त एकाकार हो जाते हैं। भगवान की बरात, विवाह वेदी में सारे शगुण एक साथ आ गए। देशवासी मुहूर्त की प्रतीक्षा नहीं कर रहे, प्रत्येक व्यक्ति भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा में है। महाराज ने कहा कि अपने जीवन को राममय बना लें।
भगवान की कृपा बिना कुछ संभव नहीं: सदगुरु शरण
नईदुनिया मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के राज्य संपादक सदगुरु शरण अवस्थी ने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। आज मन प्रमुदित व गर्वित है। दुनियाभर के देशों में जहां भी सनातनधर्मी है, उन समेत हम सभी परम सौभाग्यशाली है कि हमारे जीवन में यह दिन आया है। हम इस अद्भुत कालखंड का हिस्सा बनेंगे। पिछली पांच सदियों से सनातन धर्मियों की अभिलाषा था कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर राम का भव्य मंदिर बने और वे वहां स्थापित हो। भगवान की ही कृपा है। उनकी इच्छा और कृपा के बिना यह संभव नहीं था। इस अवसर के देश के सर्वोच्च न्यायालय व मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने सनातनधर्मियों की अभिलाषा का सम्मान किया।
छत्तीसगढ़ में राम और उनके व्यक्तित्व पर हुई चर्चा
श्रीरामोत्सव-सबके राम इस कार्यक्रम के परिचर्चा सत्र में ‘जन-जन के राम’ विषय पर वक्तागणों ने अपने विचार रखे। इसमें प्रख्यात साहित्यकार गिरीश पंकज, श्रीराम वनगमन शोध संस्थान के अध्यक्ष श्याम बैस, गोभक्त मोहम्मद फैज, छत्तीसगढ़ी रामायण के रचनाकार डा. अमरनाथ त्यागी, इतिहासकार सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. रमेंद्रनाथ मिश्र आदि शामिल हुए। इसमें मो. फैज ने कहा कि इस्लामी शरीर और वेदांती विचारधारा भारत की विकासगाथा लिखेगी। गिरीश पंकज लिखित एक गाय की आत्मकथा ने उन्हें गो संरक्षण से जोड़ा। अमरनाथ त्यागी ने छत्तीसगढ़ में राम विषय पर गागर में सागर भरा। इतिहासकार रामेन्द्रनाथ मिश्र ने छत्तीसगढ़ में राम और उनके व्यक्तित्व पर चर्चा की। उन्होंने आरंग, रतनपुर, मल्हार, सिरपुर को राम वन पथ गमन पथ में शामिल करने का सुझाव दिया।