Raipur News: बाल कल्याण समिति की चौंकाने वाली रिपोर्ट, रायपुर में दुष्कर्म, छेड़छाड़ और पाक्सो के पीड़ित छोड़ रहे स्कूल

HIGHLIGHTS

  1. बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट में आई जानकारी
  2. दो सालों में रायपुर में 150 से ज्यादा प्रकरण आए सामने
  3. 70 प्रतिशत स्वजनों ने अपने बच्चों को स्कूलों से किया दूर

रायपुर। Raipur News: बाल अवस्था में दुष्कर्म, छेड़छाड़ या फिर पाक्सो जैसे केस में पीड़ित बच्चे आज के समय में शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह उनके स्वजन हैं। बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट में यह राजफाश हुआ है। जब हर महीने पांच केस सामने आ रहे हैं। इन मामलों में 70 प्रतिशत स्वजनों ने अपने बच्चों को स्कूलों से दूर कर दिया है। अब पुलिस की मदद लेकर बच्चों को दोबारा स्कूल भेजने काउंसिलिंग की कवायद तेज है।

 

जानकारी के मुताबिक पिछले दो सालों में जिले में 150 से ज्यादा प्रकरण सामने आ चुके हैं। वर्तमान समय में बाल कल्याण समिति के पास हर महीने तीन से चार ऐसे मामले पहुंच रहे हैं, इसमें स्वजनों ने केस दर्ज होने के बाद बच्चों को पूरी तरह से पढ़ाई से दूर कर दिया है। अब ऐसे बच्चों को दोबारा से स्कूल भेजने के लिए कवायद तेज करने के लिए पुलिस की मदद मांगी जा रही है।

 

बाल कल्याण समिति के अधिकारी के मुताबिक पुलिस द्वारा थानों में बनाए गए संवेदना कक्ष में पीड़ितों की काउंसिलिंग करने के लिए कहा गया है। यहां से स्वजनों को समझाइश देने के बाद पीड़ित बच्चों को दोबारा पढ़ाई के लिए सक्षम बनाने का प्रयास है। आमतौर पर केस होने के बाद बच्चे भी मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाते हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाई के लिए किसी तरह की समस्या ना हो, इसलिए उनकी काउंसिलिंग कर रहे हैं।

औसतन 65 केस हर साल

 

बाल कल्याण समिति की रिपाेर्ट के मुताबिक हर साल औसतन 65 केस सामने आते हैं। 2021 में पाक्सो से जुड़े 64 केस रजिस्टर्ड किए गए थे। 2022 में भी आंकड़ा इसी के आस-पास 66 के करीब था। इस साल भी हर महीने चार से पांच केस सामने आ रहे हैं। ऐसे में औसतन आकड़ा 60 -65 के आसपास माना जा रहा है।

 

समिति ने बनाई निगरानी पालिसी

 

ऐसे बच्चे और स्वजन जिन्हें काउंसिलिंग के बुलाया जाता है और फिर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सलाह दी जाती है, ऐसे प्रकरणों में अब निगरानी की पालिसी तय कर दी गई है। जिन बच्चों की काउंसिलिंग हो चुकी है और स्कूल भेजने सलाह दी गई है, स्थिति में सुधार हुआ या नहीं, इसके लिए बाल कल्याण समिति ने निगरानी के लिए सिस्टम बनाया है। बाकायदा ऐसे बच्चों का पालोअप लेकर स्थिति में सुधार लाने का प्रयास जारी है।

 

बाल कल्याण समिति के प्रभारी डीसीपीओ संजय निराला ने कहा, हर महीने 3 से 4 केस सामने आ रहे हैं, जिसमें पाक्सो से जुड़े मामले में बच्चों को स्कूल से दूर करने की बात सामने आ रही है। ऐसे मामलों में लगातार बच्चों को स्कूल से जोड़ने प्रयास जारी है। समिति द्वारा पुलिस की मदद लेकर भी ऐसे प्रकरणों में परिजनों काे भी काउंसिलिंग के लिए बुला रहे हैं। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो स्कूल गए ही नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा केस ऐसे सामने आ रहे हैं।

 

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य सोनल गुप्ता ने कहा, नाबालिगों से जब भी इस तरह की घटना होती है आयोग पुलिस के माध्यम से स्वजनों से संपर्क करती है। उसके बाद स्वजनों से मिलकर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के साथ-साथ मुआवजा की प्रक्रिया भी पूरी करवाई जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button