Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में सीएम चेहरे के बिना चुनाव लड़ेगी भाजपा, शीर्ष नेताओं ने बनाई रणनीति
HIGHLIGHTS
- चुनावी राज्यों के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने बनाई रणनीति
- भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ेगी
- छत्तीसगढ़ में भी सामूहिक नेतृत्व का ही फार्मूला काम आएगा
रायपुर। Chhattisgarh Election 2023: भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव किया है। चुनावी राज्यों में भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ेगी। छत्तीसगढ़ में भी सामूहिक नेतृत्व का ही फार्मूला काम आएगा। यानी भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के 15 वर्षों के विकास कार्यों को लेकर जनता के पास जाएगी लेकिन नेतृत्व सामूहिक ही होगा। पिछली बार मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के चेहरे पर पार्टी ने दांव खेल था। पार्टी सूत्रों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव के फाइनल से पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करेगी।
अन्य राज्यों में भी यही स्थिति
मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया गया है। इन सभी राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो 2017 में उत्तर प्रदेश में पार्टी को सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का लाभ मिला। 2014 के तत्काल बाद पार्टी हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र में भी पार्टी ने सीएम उम्मीदवार घोषित किए बिना जीत हासिल की थी। असम में सर्वानंद सोनोवाल के मुख्यमंत्री रहते सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा। त्रिपुरा में भी यही स्थिति थी। पार्टी को इसका लाभ भी मिला।
इनके हाथ में नेतृत्व जो भविष्य में सीएम के दावेदार
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2023 में यदि भाजपा की सरकार बनी तो प्रदेश में हर वर्ग से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।
सामान्य वर्ग: प्रदेश में सामान्य वर्ग से आज भी चार बड़े चेहरे हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम आता है।
ओबीसी वर्ग: अन्य पिछड़ा वर्ग से बड़े चेहरों में बिलासपुर सांसद व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, दुर्ग सांसद विजय बघेल, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, युवा नेता ओपी चौधरी का नाम आता है।
एसटी वर्ग: प्रदेश में लगातार आदिवासी मुख्यमंत्री की भी मांग होती रही है । ऐसे में अनुसूचित जनजाति(एसटी) वर्ग से प्रदेश में बड़े चेहरे में केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम, पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी व युवा नेता में पूर्व मंत्री केदार कश्यप का नाम पहले आता है।
एससी वर्ग: अनुसूचित जाति(एससी) वर्ग से पार्टी के पास ज्यादा विकल्प नहीं है इस वर्ग से फिलहाल पूर्व मंत्री डा.कृष्णमूर्ति बांधी, पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहिले और युवा चेहरे में नवीन मारकंडेय का नाम आता है। बांधी को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर जानकारी है जबकि मारकंडेय युवा नेताओं में शुमार हैं।
छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, 2003 में भी भाजपा ने काेई चेहरा नहीं लाया था। यह कोई विषय या समस्या नहीं है। भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा और विधायक दल चंद मिनटों में ही अपना नेता चुन लेगा। वर्तमान में हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे, उनके कामकाजों, कमल चिन्ह और सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे।