’फ़ूड प्रोसेसिंग की दिशा में मजबूती से कदम आगे बढ़ा रही महिलाएं, समूह कर रहे खाद्य तेल, पंचरत्न आटा, मसाले आदि का निर्माण और पैकेजिंग’

’साबुन और अगरबत्ती निर्माण कार्य भी संचालित, सीमार्ट एवं स्थानीय बाजारों में होगा विक्रय’

कोरिया

निर्माण और पैकेजिंग’कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के ग्राम सलका स्थित गौठान में स्वसहायता समूह की महिलाएं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपने कदम मजबूती से बढ़ा रही हैं। शासन की मंशा के अनुसार स्वसहायता समूह की महिलाओं को अपने गांव में ही आजीविका संवर्धन का साधन मिला है। गौठान सलका में स्व सहायता समूह की महिलाएं खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत सरसों, तिल और मूंगफली के तेल प्रसंस्करण, पंचरत्न आटा, विभिन्न प्रकार के मसाले निर्माण के साथ ही साबुन और अगरबत्ती का निर्माण कार्य भी कर रही हैं। गौठान में महिला समूह द्वारा मशरूम उत्पादन भी किया जा रहा है।
विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम सलका गौठान में कृष्णा महिला स्व सहायता समूह की 10 महिलाओं ने खाद्य तेल के प्रसंस्करण का कार्य शुरू किया है।समूह की अध्यक्ष राजकुमारी ने बताया कि महिलाओं को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के सहयोग से खाद्य तेल निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से तेलघानी मशीन दिया गया है, उत्पादन के लिए सरसों बीज स्थानीय बाजारों से खरीदा जा रहा है। मशीन द्वारा सरसों बीज से तेल निर्माण का कार्य किया जा रहा है, तत्पश्चात तेल को छान कर पैकिंग कर बेचने के लिए तैयार किया गया है। राजकुमारी ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद मात्र 2 दिनों में ही समूह के द्वारा 11 लीटर तेल बनाया गया है। साथ ही तिल और मूंगफली तेल प्रसंस्करण का काम भी लगातार जारी है। निर्मित तेल को सीमार्ट व स्थानीय बाजारों में विक्रय के लिए रखा जाएगा, वहीं महिलाओं द्वारा तेल की ब्रांडिंग एवं अन्य मार्केटिंग की योजना भी बनायी जा रही है।
इसी तरह गौठान में सखी महिला समूह के द्वारा मिनी राइस मिल का संचालन किया जा रहा है। जिससे चावल, गेंहू और पंचरत्न आटा, मिर्च पाउडर, गरम मसाले आदि तैयार किये जा रहे हैं। गणेश महिला समूह द्वारा साबुन निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिससे समूह की महिलाएं अब तक 25 हज़ार से ज्यादा की कमाई कर चुकी हैं। कृष्णा समूह की ही महिलाएं अगरबत्ती निर्माण का काम भी गौठान में कर रही हैं। इंद्रा महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं मशरूम उत्पादन की आजीविका से जुड़कर सफलता की ओर आगे बढ़ रही हैं।

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