शाह के सर्वे में नाम जुड़वाने भाजपा नेताओं से ठगी, केंद्रीय मंत्री के साथ फोटो दिखाकर ठगों ने ले ली रकम

रायपुर। राज्य ब्यूरो। Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक भाजपा नेताओं के साथ अब ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के सर्वे में नाम जुड़वाने के नाम पर नेताओं से लाखों रुपये वसूल लिए गए। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो दिल्ली के कुछ युवाओं ने फेसबुक पर अमित शाह और उनके पीए के साथ तस्वीर दिखाई।

शाह का करीबी बताकर नेताओं से किया ठगी

छत्‍तीसगढ़ के स्थानीय नेताओं ने उन नेताओं की ब्रांडिंग शाह का करीबी बताकर किया। उसके बाद उन युवाओं ने अपना खेल शुरू किया। सर्वे सूची में नाम शामिल करने के लिए किसी से पांच लाख तो किसी से आठ लाख रुपये वसूल लिए। इसकी शिकायत प्रदेश कार्यालय तक पहुंची, तब वरिष्ठ नेताओं को पता चला कि इस तरह ठगी की जा रही है। यह पूरी ठगी जून महीने में की गई, जब पूरे प्रदेश में हल्ला था कि शाह की टीम प्रदेश में सर्वे कर रही है।

इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय नेता हुए ठगी के शिकार

 

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि ठगी के शिकार वह नेता हुए हैं, जिनकी सक्रियता इंटरनेट मीडिया पर ही नजर आती है। क्षेत्र में पार्टी के कार्यक्रम और अन्य अभियान में उनकी उपस्थिति शून्य रहती है। इसमें राजधानी रायपुर के दो युवा नेता हैं। एक जिला पंचायत सदस्य हैं, जबकि एक युवा मोर्चा की जिला कार्यकार्यकारिणी में है। एक नेता कांकेर जिले के हैं, जो पेशे से इंजीनियर हैं और पार्टी के बड़े नेताओं के इर्द-गिर्द अक्सर पाए जाते हैं। ऐसे ही गरियाबंद, महासमुंद और धमतरी के एक-एक नेता का नाम सामने आ रहा है, जिनसे पैसे वसूले गए हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से इस तरह की ठगी को लेकर जब बात की गई, तो कोई प्रतिक्रिया देने के स्थान पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी। नेताओं ने कहा कि युवाओं को यह समझना होगा कि सर्वे सूची में नाम आने से किसी को विधानसभा का टिकट नहीं मिल जाता है। टिकट के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत होती है। जोड़-तोड़ से टिकट मिलता या पैसे खर्च करके टिकट मिलता तो जमीनी नेताओं की जगह पैसे वाले ही चुनाव लड़ते।

तीन स्तर पर हो चुका है सर्वे

प्रदेश में भाजपा ने तीन स्तर पर सर्वे पूरा कर लिया है। केंद्रीय टीम, राज्य टीम और जिला संगठन ने अपने-अपने स्तर पर सर्वे किया है। इसमें नेताओं की सक्रियता, स्थानीय मुद्दे, कांग्रेस सरकार की कमजोरियां सहित बूथ की स्थिति, पिछले चुनाव से अब तक आए बदलाव का जिक्र है।

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