महामाया मंदिर में 19 से 27 तक श्रीमद् देवी भागवत कथा

19 को निकलेगी भव्य कलश व शोभायात्रा

रायपुर। पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन श्री महामाया देवी सार्वजनिक न्यास के तत्वाधान में आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (गुप्त नवरात्रि) के अवसर पर 19 जून से 27 जून तक श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन किया जा रहा है। भागवत प्रवचन प्रतिदिन अपरान्ह 3 बजे से संध्या 06 बजे तक मंदिर प्रांगण में होगा। प्रवचनकर्ता शंकराचार्य आश्रम त्रिपुर सुंदरी मंदिर, देवपुरी के आचार्य ब्रम्हचारी डॉ. इन्दुभवानंद शास्त्री होगें।

महामाया मंदिर सार्वजनिक न्यास के अध्यक्ष आनंद शर्मा, सचिव व्यास नारायण तिवारी तथा न्यासी पं. विजय कुमार झा, चंद्रशेखर दुबे ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में बताया कि महामाया मंदिर में पूर्व संकल्पित श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन पहली बार किया जा रहा है। 19 जून सोमवार को प्रात: 09 बजे शोभायात्रा – कलश यात्रा मंदिर प्रागंण से अमीनपारा चौक, लीली चौक, लोहार चौक, लाखेनगर चौक, सारथी चौक, आजाद चौंक, ब्राम्हणपारा होते हुए प्राचीन कंकाली मठ स्थित कंकाली तालाब से जल ग्रहण कर शीतला मंदिर, शीतला बाजार होते हुए वापस मंदिर पहुंचेगी। शोभायात्रा उपरांत पीठ पूजन, गौरी गणेश, नवग्रह पूजन, षोडस मात्रिका पूजन सम्पन्न होगा। प्रतिदिन प्रात: परायण तथा अपरान्ह 3 बजे से संध्या 6 बजे तक भागवत कथा का रसपान श्रद्धालुओं को आचार्य डॉ. इन्दुभवानंद शास्त्री कराएँगे।

व्यास नारायण तिवारी ने बताया कि 19 जून को हथग्रीव तथा मधुकैटभ प्रसंग, 20 जून को शुकदेव प्रसंग, सत्यव्रत का आख्यान श्रीराम चरित्र तथा राम की शक्ति पूजा, 21 जून को वासुदेव देवकी प्रसंग, नारायण प्रसंग सहित कृष्णावतार प्रसंग की कथा, 22 जून को महिषासुर प्रसंग, भगवती प्राकट्य तथा मणिद्वीप का वर्णन, 23 जून को शुम्भ निशुम्भ की तपस्या, देवताओं की स्तुति देवी का प्राकट्य, 24 जून को सुरथ समाधि वैश्य का प्रसंग, नारद मोह प्रसंग, 25 जून को राजर्षि विश्वामित्र एवं हरिशचंद प्रसंग, विभिन्न शक्ति पीठों का वर्णन, 26 जून को प्रकृति विमर्श राधा, गंगा व पृथ्वी का प्रसंग शंखचूड़ वृतान्त, 27 जून को सावित्री स्वाहा सुधा दक्षिणा पष्ठी आदि देवियों का प्रसंग उपरांत हवन, महाआरती, भोग भंडारा, प्रसादी से यज्ञ की पूर्णता होगी। इस भव्य आयोजन में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज एवं शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज के आगमन की भी संभावना है। 

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