श्रृद्धांजली दिवस पर विशेष

(झीरम घाटी हत्याकांड का अपराधी कौन ? )
तपन चक्रवर्ती

रायपुर। एक दशक पूर्व 25 मई 2013 की शाम 4:00 बजे झीरम घाटी से गुजरती “परिवर्तन यात्रा” की काफिले पर सुनियोजित तरिके से किये गये नक्सली हमले से 32 लोगो की शहादत हुई है। पुरा देश इस तरह के मार्मिक घटना से स्तब्ध एवं आहत हुआ है, यह घटना देश का दुसरा बड़ा माओवादी घटना है। हमारे लोकतांत्रिक देश में 5 साल के अन्तराल में राजनेताओं को जनता के समक्ष अपनी अग्नि परिक्षा देनी पड़ती है। इस दौरान अग्नि परिक्षा की तैयारी में सामिल परिवर्तन यात्रा गहरी साजिश के तहत बिछाई गई अंबूस के जरिये जान लेवा हमला को लोकतंत्र के हत्या कहा जा सकता है। सत्ता की हवस की आगे राजनैतिक हत्यारा लुका-छुपी का खेल, खेलकर मासूम जनता को भ्रमित कर यह संदेशा दिया जा रहा हैं कि लड़ाई अभी बाकी हैं।
16व परिवर्तन यात्रा का काफिला 25 मई को आयोजित सुकमा में जन सभा को सम्पन्न कर जगदलपुर लौटते रास्ते में झीरम घाटी में पूर्व नियोजित साजिश के तहत बिछाई गई अंबूस के घेरे में अंजान पद प्रदर्शक एवं सुरक्षा कर्मीयों का वाहन जोरदार धमाके के साथ हवा में उछलकर एक गढ्ढे में समा गई और तो और वाहन में मौजूद प्रायः सभी लोगो की छिन्न भिन्न अधजली लाशें यहां वहां छिटक गये। इस वाहन के पीछे राजनैतिक दल के प्रमुख एवं उनका पुत्र व अन्य लोगो का वाहन था । इस काफिले में तकरीबन 25 वाहनों में सवार राजनेताओं का झुंड, अचानक हुये हमले से भयभीत एवं सहमें हुए अपने अपने वाहन में छुप गये थे। कुछ वाहनों के चालक जानकारी लेने के लिए बाहर उतरे मगर उनको गोलियों की बौछारों ने वहीं ढेर कर दिये। इस सांघातिक हत्याकांड में मौजूद सुपारी किलर प्रख्यात खोजी राजनेता का नाम लेकर सामने आने के लिए लगातार पुकारे जाते रहे और उपस्थित सभी वाहनों के पास जाकर इस प्रख्यात खोजी राजनेता की तस्वीर भी दिखलाया जा रहा था। इसी खोज बीन के दौरान दल के मुखीया एवं उनके पुत्र को धमकाते हुए सड़क किनारे जंगल के तरफ अगवा कर ले जाते समय अन्य वाहनों पर गोलियों की बौछारें ने मौहोल को और ज्यादा भयभीत और दहशत बना कर रख दिया खोजी प्रख्यात राजनेता ने अपनी आखे सामने बेगुनाहों की मौत से बेचैन होकर ललकारते हुए अपने वाहन से निकले। फिर जो मौत का तांडव नृत्य व चिख पुकार के सामने सभी डरे व सहमें थे। मृत पड़े खोजी प्रख्यात राजनेता के लाश पर नाचते हुए अपनी जीत की खुशियां भी मनाये। घटना स्थल से मात्र कुछ ही दुरी पर दरभा – थाना स्थित है। किंतू 3 घंटे तक जारी मौत के खेल के समय पुलिस या सुरक्षा कर्मी अथवा राहत दल तक नहीं पहुची। इस भीषण मार्मिक हत्याकांड 32 से जादा राजनेता व निजी सुरक्षा गार्ड शहीद हुए है। हत्याकांड के दुसरे दिन घने जंगल में दल के राजनेतिक मुखिया के साथ उनके पुत्र की हत्या की गई लाशे भी बरामद किये गये है। इस काफिले में शामिल छत्तीसगढ़ के प्रभावी राजनेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री भी गंभीर रूप से शिकार हुए थे एवं दिली के प्रतिष्ठित अस्पताल में इलाज के दौरान प्रांण त्यांग दिये। घटित मार्मिक एवं कायतापूर्ण हत्याकांड घटना ने छत्तीसगढ़ के प्रथम पंक्ति के राजनेताओं को हमसे छीना है।
दुसरे दिन से राजनैतिक गहमा गहमी के बिच केन्द्रीय उच्च स्तर की जांच समिति गठन की गई है। किन्तु आज दिनांक तक बेशरमी की तरह जांच के नाम पर मासूम जनता को भगित किया जा रहा है। हालाकि इस घृणित हत्याकांड की जिम्मेवारी नक्सली नेता द्वारा अपने उपर जरूर लिये है। मगर अफसोस है कि जांच के दौरान नक्सली नेता व अन्य चिन्हित अपराधी सामने तक नहीं आये। आश्चर्य की बात है की इस घटना से जुड़े नक्सली नेता की आचानक मौत की खबर मिली है। और कुछ सालो बाद विवादित एवं शंकाओं से घिरे आरोपी (राजनेता) की बिमारी से मौत हो चुकी है। इस तरह हवांनियत से भरी हुई राजनेतिक महत्वाकांक्षी के गंभीर हमले से जनता भयभीत और आकोशित है। शंका एवं धुंध से घिरी आवम की एक ही मांग है की झिरम घाटी हत्याकांड का अपराधी कोन ? वैसे तो परिणाम 2024 को इस अग्नि परिक्षा का जरूर सामने आयेगा ।

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