विश्व हिंदू परिषद के बंद को लेकर छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ काॅमर्स की खोली पाेल
रायपुर. छत्तीसगढ़ में विश्व हिंदू परिषद के बंद को लेकर छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ काॅमर्स की पाेल खुल गई है, कहने काे इनमें एकता की बात हाेती है, लेकिन सच्चाई में इनकी में बड़ा झाेल सामने आया है। चैंबर ने बंद के मामले में कोई फैसला ही नहीं किया था, ऐसे में जहां दुर्ग, भिलाई, बेमेतरा, बस्तर सहित कई जिलों में बंद को समर्थन किया गया, वहीं रायपुर में कारोबारियों ने अपने संस्थान बंद रखकर बंद का समर्थन किया। दरअसल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद को लेकर यह कह दिया था कि 72 घंटे पहले आवेदन मिलने पर ही फैसला लिया जाता है। 24 घंटे पहले आवेदन मिलने पर चैंबर अनिर्णय की स्थिति में है। इस मामले में चैंबर के पूर्व अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी का कहना है, कई बार महज छह घंटों में फैसला लेकर बंद का समर्थन किया गया है।
बेमेतरा जिले के बिरनपुर में हुई हत्या के मामले में विश्व हिंदु परिषद ने छत्तीसगढ़ बंद का आव्हान किया और इस मामले में छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स से समर्थन मांगा तो चैंबर ये यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि उनके नियमों के मुताबिक किसी भी बंद को समर्थन देने के लिए 72 घंटे पहले आवेदन देने का नियम है। चूंकि 24 घंटे पहले आवेदन दिया गया है, ऐसे में समर्थन देने के लिए निर्णय को लेकर स्थिति साफ नहीं है।
बंद का कई जिलों में समर्थन
चैंबर द्वारा स्थिति स्पष्ट न करने के बाद भी जहां राजधानी रायपुर में सभी व्यापारिक संगठनों ने अपना कारोबार बंद रखकर बंद का समर्थन किया, वहीं दुर्ग, भिलाई, बेमेतरा सहित कई जिलों में भी कारोबारी संगठनों ने बंद का समर्थन करके अपना कारोबार बंद किया। ऐसा होने से चैंबर के टुकड़ों में बंटने की चर्चा होने लगी है। हालांकि इसको लेकर चैंबर के पदाधिकारियों का अपना अलग ही तर्क है। चैंबर के पदाधिकारी चैंबर के बंटने से इनकार कर रहे हैं।
छह घंटों में किया बंद का समर्थन
चैंबर के पूर्व अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी का कहना है, चैंबर के इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं, जब महज छह घंटों में ही बंद का समर्थन किया गया है। लेकिन 72 घंटे का हवाला देकर फैसला न करना गलत है। चैंबर का यह व्यवहार उचित नहीं है।
लोकल स्थिति के हिसाब से फैसला लेने कहा
चैंबर के महामंत्री अजय भसीन का कहना है, चैंबर में 128 व्यापारिक संगठन जुड़े हैं, इनके साथ तत्काल में बैठक करना संभव नहीं था। दुर्ग संभाग की घटना होने के कारण दुर्ग संभाग के जिलों को बंद का समर्थन करने कहा गया था, साथ ही बाकी जिलों को वहां की लोकल स्थित के हिसाब से फैसला करने कहा था। हमने किसी भी जिले को बंद का समर्थन न करने के लिए नहीं कहा था।