SC में अर्जी : महिलाओं से भेदभाव करता है शरियत कानून, दौलत पर नहीं समान अधिकार
शरियत कानून मुस्लिम महिलाओं के प्रति भेदभाव करने वाला है और उन्हें संपत्ति के बंटवारे में समान अधिकार नहीं देता। इस भेदभाव को दूर करने की जरूरत है। इस मांग वाली अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस अर्जी में कहा गया है, ‘संविधाान में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया है। इसके बाद भी मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का शिकार हो रही हैं।’ बुशरा अली की ओर से दायर याचिका में यह सवाल उठाया गया है। बुशरा अली को परिवार की संपत्ति के बंटवारे के मामले में परिवार के पुरुषों के मुकाबले आधी संपत्ति ही मिली थी। बुशरा को उनकी पारिवारिक संपत्ति में 7/152 की ही हिस्सेदारी दी गई, जबकि पुरुष सदस्यों को 14/152 का हिस्सा मिला है।
इसी को आधार बनाते हुए बुशरा अली ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) कानून के सेक्शन 2 को चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह सेक्शन संविधान के आर्टिकल 15 का उल्लंघन करता है। वकील बीजू मैथ्यू जॉय की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ 1937 का है और संविधान उसके बाद लागू किया गया है। ऐसे में इसका कोई भी प्रावधान भारतीय संविधान से अलग होता है तो वह उसका उल्लंघन है। फिलहाल इस मामले में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए हैं।
बुशरा अली की अर्जी में सवाल उठाया गया है कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ का सेक्शन 2 भारतीय संविधान के आर्टिकल 15 का उल्लंघन नहीं करता है, जो देश के सभी नागरिकों को मजहब, लिंग, क्षेत्र, जाति के आधार पर समानता का अधिकार देता है। बुशरा का कहना है कि यह मामला संविधान के आर्टिकल 13 का भी उल्लंघन करता है। फिलहाल इस मामले में दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया गया है, जिसके बाद आगे की सुनवाई की जाएगी।