रामकृष्ण के संन्यासियों का अनूठा मिशन

लाल आतंक से घिरे नारायणपुर में जहां एक ओर दुनिया की तमाम मुश्किलें हैं, वहीं दूसरी तरफ इन मुश्किलों को आसान करती एक अलग-अनूठी दुनिया भी है। यह दुनिया है रामकृष्ण मिशन आश्रम। अबूझमाड़ की इस लाइफलाइन की बदौलत 2600 बच्चों को शिक्षा मिल रही और हजारों आदिवासियों का इलाज हो रहा है। आंगनबाड़ी का संचालन हो या पीडीएस के जरिये सुदूर गांवों में अन्न पहुंचाना, सब आश्रम की ही देन है।

आश्रम के संन्यासी बीते कुछ सालों से नए मिशन में जुटे हैं। वह है पढ़ाई के साथ ही उत्कृष्ट खिलाड़ी भी तैयार करना। आकाबेड़ा हो या कुंदल, इन अति संवेदनशील नक्सल क्षेत्रों में रोज सुबह-शाम कम से कम 60-70 बच्चे अलग-अलग रंग की जर्सी में फुटबॉल के साथ ड्रिबलिंग करते और मंझे खिलाड़ी की तरह शॉट मारते नजर आएंगे। एकबारगी यह नजारा हैरत में डालने वाला होता है। क्योंकि जिस इलाके में ढंग का रास्ता नहीं है, वहां एक साथ इतने खिलाड़ी कहां से आ गए !

सीमित संसाधन के बीच नारायणपुर आश्रम में मिनी खेल गांव तैयार किया गया है। यहां एथलेटिक्स ट्रैक भी है, तीन फुटबॉल ग्राउंड, तीन इनडोर बैडमिंटन कोर्ट, इनडोर-आउटडोर बास्केटबॉल कोर्ट, खो-खो मैदान, वॉलीबॉल कोर्ट के साथ जिम्नेजियम भी है। तीरंदाजी के लिए जल्द इंटरनेशल लेवल का इनडोर और फील्ड आर्चरी एरिया भी तैयार हो रहा है। इसके अलावा दूसरे 6 आश्रमों में भी खेल मैदान हैं। ये तो हो गई संसाधन की बात। हुनर की बात करें तो अबूझमाड़िया बच्चों की टीम अंडर 14 और 17 फुटबॉल में पांच साल से चैम्पियन है। 8 खिलाड़ियों ने संतोष ट्रॉफी के लिए क्वालीफाई किया और 7 खेले। सिर्फ 2022 में 145 छात्र-छात्राएं अलग-अलग खेलों के नेशनल टूर्नामेंट खेल चुके हैं। इनमें फुटबॉल के 90 और खोखो के 18 खिलाड़ी हैं। यहां के पूर्व छात्र सुरेश ध्रुव एशिया कप के इंडिया कैंप का हिस्सा रहे हैं। अभी 10वीं में 91% हासिल करने वाली कम्लेश्वरी वॉलीबॉल के दो नेशनल टूर्नामेंट में धाक जमा चुकी हैं।

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