टसर कीटपालन से ग्रामीण स्वाभिमान से स्वावलंबन की राह पर हो रहे अग्रसर

जशपुरनगर.

ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग द्वारा दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों व वनांचलों में निवास करने वाले ग्रामीणों की आर्थिक विकास हेतु अनेक विभागीय योजनाओं  के माध्यम से उन्हें आजीविका के साधन उपलब्ध करा रही है।
जिले के विकासखण्ड बगीचा के अंतर्गत रेशम परियोजना केन्द्र ताम्बाकछार में ग्रामीण कोसाफल उत्पादन कर स्वाभिमान से स्वावलंबन की राह पर बढ़ रहे है। कोसाफल के अच्छे उत्पादन से यहाँ के  ग्रामीणों को आर्थिक लाभ मिल रहा है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। ताम्बाकछार ग्राम के 20 हितग्राहियों द्वारा  विगत  दो से अधिक  वर्ष से यहां टसर कीटपालन का कार्य किया जा रहा है। जिसमें  5-5 सदस्यों का ग्रुप बना हुआ है। विभाग द्वारा यहाँ के ग्रामीणों को विभागीय योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें  टसर उत्पादन हेतु प्रोत्साहित किया गया। ग्राम के लगभग 25 हेक्टेयर वन भूमि में साजा व अर्जुना टसर खाद्य पौधरोपण किया गया है। विभाग द्वारा योजना से जुड़े कृषकों को निःशुल्क तकनीकि प्रशिक्षण एवं समय समय पर मार्गदर्शन दिया जाता है। साथ ही सीएसबी अम्बिकापुर द्वारा यहां के कीटपालक हितग्राहियों को अच्छे स्व. डिम्ब समूह प्रदाय किया गया है। जिससे कृषक अच्छी तरह से कीट पालन कर  रहे है। यहां के कोसाफल की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण उत्पाद की मांग स्थानीय बाजार सहित अन्य जिलों में भी अधिक है। कोसा बीज केन्द्र बन्दरचुवा के सेल्फ हेल्फ ग्रुप के यहां उत्पादित कोसाफल निर्धारित मूल्य में क्रय कर लेते है। साथ ही हितग्राहियों को कोसाफल की राशि चेक के माध्यम से भुगतान भी किया जाता है। जिससे टसर कीट पालन से जुड़े हितग्राही बेहतर उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है। टसर कीट पालन से जुड़े ताम्बाकछार के रंजीत ग्रुप द्वारा वर्ष 2022-23 कोसा उत्पादन के प्रथम फसल में लगभग 45 हजार नग कोसाफल का उत्पादन किया है। जिसकी विक्रय राशि लगभग 85 हजार 500 रुपये है। इसी प्रकार द्वितीय फसल में 42 हजार नग कोसा उत्पादन हुआ जिससे समूह ने 1 लाख 5000 रूपये आय अर्जित किया। इस प्रकार इस वर्ष कोसा उत्पादन से रंजीत समूह को लगभग 63 हजार 500 रूपए प्रति व्यक्ति वार्षिक आय हुई है। समूह के सदस्यों ने बताया कि सभी लोग इस कार्य को मन लगाकर करते है। उनका उद्देश्य उत्पादन को और बढ़ा कर आमदनी में अधिक इजाफा करना है। इसी प्रकार अन्य समूह के सदस्य भी टसर उत्पादन से अच्छी आय अर्जित कर रहे है। समूह के सदस्यों ने टसर कीट पालन से जोड़कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने एवं आय का जरिया प्रदान कराने हेतु प्रदेश सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद दिया है।

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