जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक
जिले में रबी फसल के लिए पानी देने का निर्णय लेने के लिए जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक शुक्रवार 9 दिसंबर को हाेगी। जिले के जिन क्षेत्रों में पानी दिया जाता है, उस एरिया में किसान धान की फसल ही लगाते हैं, वे इस बार भी धान की फसल के लिए पानी की मांग कर रहे हैं।
जिले के किसानों को रबी में भी पानी का लाभ मिल सके, इसके लिए पिछले कई सालों से बांगो बांध से पानी दिया जा रहा है, जिले में रबी में पामगढ़, डभरा, मालखरौदा सहित अन्य स्थानों के अधिकांश किसान धान की फसल ही लगाते हैं। जिले के वे किसान जिनके पास स्वयं की व्यवस्था है, वे अपनी जरूरत के हिसाब से गेंहू, सब्जी, मक्का आदि भी लगाते हैं।
कृषि विभाग के आंकड़ों में ऐसी ही फसल लगने वाले रकबा काे अधिक बताया जाता है, जबकि ऐसे किसान कम ही होते हैं, जबकि धान की फसल उन क्षेत्रों में अधिक दिखाई देती है, जिधर पानी दिया जाता है।
सरकार धान के अलावा दूसरी फसलों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, इसी वजह से जिला प्रशासन के अधिकारी भी धान के अलावा दूसरी फसल के लिए ही किसानों को प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं, किंतु ऐसा हो नहीं रहा है। किसान संगठन इसका विरोध कर रहे है तथा पानी धान के लिए मांगा जा रहा है।
इसलिए लेते हैं धान की दोहरी फसल
धान की फसल जिले के किसान रबी में इसलिए अधिक लगाना चाहते हैं, क्योंकि इस फसल में बीमारी कम होती है, लागत कम आती है और फसल पकने के बाद इसे बाजार भी मिलता है। रबी फसल में लगने वाले धान को उसना मिलर्स अधिक दाम में खरीदते हैं, इससे किसानों को फायदा अधिक होता है, इसलिए किसान रबी के सीजन में धान की फसल लेना पसंद करते हैं।
जानिए … किसे कितनी जरूरत
- बांध की क्षमता -2850.50 एमसीएम
- उद्योग-418.95 एमसीएम
- खरीफ-1381.30 एमसीएम
- रबी-684 एमसीएम
- पेयजल-14 एमसीएम
- निस्तार- 384.80 एमसीएम
आज बैठक में होगा निर्णय
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा की अध्यक्षता में जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक 9 दिसम्बर को सुबह 11 बजे कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में होगी। इस बैठक में रबी सिंचाई तथा खाद बीज की उपलब्धता पर चर्चा की जाएगी। सचिव/नोडल ईई होंगे।