छत्तीसगढ़ का ताला बंद, कंप्यूटर आधारित आइसीटी योजना का बुरा हाल

रायपुर। राज्य सरकार ने ‘गढ़बो डिजिटल’ छत्तीसगढ़ का स्लोगन देकर प्रदेश के सभी जिलों में 55 ई-साक्षरता केंद्र खोले और एक साल के भीतर गुपचुप तरीके से बंद भी कर दिए। एक वर्ष के भीतर लगभग 11 हजार लोगों ने कंप्यूटर-लैपटाप, मोबाइल आदि चलाना सीखा और अब यह योजना बंद होने की कगार पर है । हालांकि अफसरों का दावा है कि केंद्र सरकार की ओर से नवभारत साक्षर भारत अभियान के तहत यह योजना शामिल है। इसे आगे चलना है। मगर केंद्र ने ही राशि रोक दी है। बजट के लिए इंतजार किया जा रहा है।

प्रदेश के स्कूलों में भी विद्यार्थियों को कंप्यूटर आधारित आइसीटी योजना का बुरा हाल है। 1036 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में आइसीटी लैब स्थापित करना था। कंप्यूटर आधारित लैब स्थापित करके शिक्षकों को प्रशिक्षित करना था। इसी तरह 3633 हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों में स्मार्ट स्कूल के लिए लैब स्थापित करना था। पिछले चार वर्षों में अभी तक आइसीटी लैब 985 और स्मार्ट क्लास 3313 स्थापित हो गए है, मगर शिक्षकों को कंप्यूटर पढ़ाने के लायक बनाने के लिए प्रशिक्षण योजनाएं ही बंद हो चुकी है। दावा है कि शिक्षकों को जल्द ही प्रशिक्षित कर लिया जाएगा।

इनके लिए उपयोगी रहा ई-साक्षरता केंद्र

राज्य साक्षरता मिशन की ओर से शुरू किए गए शहरी ई-साक्षरता केंद्र उन लोगों के लिए लाभकारी रहा है जो कंप्यूटर पर काम नहीं कर पाते या स्मार्ट मोबाइल उपयोग करते हैं। इसके अलावा ऐसे लोग जो कि किसी एप या आनलाइन भुगतान नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें आता नहीं। ऐसे ही लोगों को घर बैठे बिजली के बिल से लेकर बाकी कर अदा करने और कंप्यूटर व मोबाइल के बहुउद्देशीय उपयोग की प्रशिक्षण देने के लिए ई-साक्षर केंद्र की योजना लाई गई थी। इसमें श्ाहरी 14 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों को 30 दिन का डिजिटल पाठ्यक्रम कराकर चिप्स के जरिए प्रमाण पत्र भी दिया जा रहा था।

ई-साक्षरता केंद्र खुलें तो यह होगा फायदा

डिजिटल साक्षर होने से लोेग कंप्यूटर, टैबलेट, मोबाइल आदि का इस्तेमाल कर सकेंगे

इंटरनेट की सुविधा का इस्तेमाल करके ई-गवर्नेंस योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे

ई-मेल प्राप्त और भेज सकेंगे और इंटरनेट पर विभिन्न् जानकारी प्राप्त कर सकेंगे

कैशलेस लेनदेन, ई-भुगतान, डिजिटल लाकर, ई-शेयरिंग जैसी सुविधा प्राप्त कर सकेंगे

वर्जन

‘गढ़बो डिजिटल’ छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया गया था। हमने शासन को प्रस्ताव भेजा है। यह कार्यक्रम नवभारत साक्षर कार्यक्रम में भी शामिल किया गया है। राशि मिलते ही फिर शुरू होगा।

– राजेश सिंह राणा, स्कूल शिक्षा विभाग के विशेष सचिव व संचालक, राज्य साक्षरता मिशन

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