बच्चों ही नहीं, पालकों में भी डिजिटल व्यवहार का अनुशासन जरूरी
रायपुर. आजकल मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गया है। इसके फायदे तो हैं ही, लेकिन नुकसान भी काफी ज्यादा हैं। ऐसे में हमें इसके सीमित उपयोग पर ध्यान देना होगा। हम खुद ही मोबाइल का अनुशासित तरीके से उपयोग करेंगे तभी बच्चों को इसके लिए प्रेरित कर पाएंगे, दबाव बना पाएंगे। इसी विषय पर शनिवार को नईदुनिया कार्यालय में विशेषज्ञों की मौजूदगी में चर्चा की गई।
सभी ने एक सुर में मोबाइल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा पाने पर असमर्थता जताई, लेकिन सीमित उपयोग, अनुशासित तरीके से उपयोग करने पर प्रकाश डाला। साथ ही बच्चों को मोबाइल के अलावा अन्य गतिविधियों में व्यस्त रखने पर जोर दिया। क्योंकि आजकल बच्चे जिन चीजों को इंटरनेट मीडिया में देख रहे हैं, उसी प्रकार का व्यवहार उनके आचरण पर भी देखने को मिल रहा है।
सभी ने बच्चों को इसका सीमित उपयोग करवाने पर फोकस किया। इसमें पालकों की भूमिका सबसे अहम मानी गई, क्योंकि बच्चों की संस्कृति, उनका व्यवहार और आचरण का निर्माण पहले 100 महीनों में होता है। इसलिए इस अवधि में उन पर ध्यान देना ज्यादा आवश्यक है।