हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी का आज 90 साल की उम्र में निधन

दिल्ली

हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी का आज 90 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने गाजियाबाद में अंतिम सांस ली. शेखर जोशी कोसी का घटवार, दाज्यू और बदबू जैसी प्रगतिशील कहानियों के लिए खासतौर पर जाने जाते हैं. शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार रहे. शेखर जोशी की कहानियों का अंग्रेजी, चेक, पोलिश, रूसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है.

उनकी कहानी ‘दाज्यू’ पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण भी किया गया. शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में साल 1932 के सितंबर माह में हुआ था. शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेंटिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन 1986 तक सेवा में रहे और उसके बाद स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखक बन गए.

दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया. शेकर लगातार पहाड़ी इलाकों में गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, उम्मीद और धर्म-जाति से जुड़ी रूढ़ियों के बारे में भी लिखते रहे.

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