मुख्यमंत्री के द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार नए नए प्रयास किये जा रहे लेकिन प्राथमिक शाला की भवन जर्जर, बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा

कोरबा, करतला, । मुख्यमंत्री के द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार नए नए प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय आज भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए रोना रो रहा रहे हैं।ऐसा ही मामला करतला विकासखंड ग्राम छातापाठ का है, जहां प्राथमिक शाला का भवन अति जर्जर अवस्था मे है, जिसकी छत किसी भी समय धराशायी होकर बच्चों व शिक्षकों के लिए जान जोखिम में डालने वाली स्थिति पैदा कर सकती है।

वर्तमान में बरसात होने से यह भवन पूरी तरह विछत होकर झड़ रही है ऐसे भवन में बच्चों को बैठाकर पढ़ाना संभव नहीं है। छोटे छोटे बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। लगातार अधिकारियों के निरीक्षण के बावजूद ऐसे संवेदनशील मामले को हल्के में लेना समझ से परे है, बरसात के मौसम होने से बैठने की उचित व्यवस्था न होने की वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस विषय को लेकर पंचायत के द्वारा एक अतिरिक्त कक्ष की मरम्मत करवाई गई है लेकिन छातापाठ प्राथमिक शाला में पहली से पाँचवी तक के बच्चों की दर्ज संख्या 81 है, जिसकी वजह से एक कमरे में बैठा कर पढ़ाई करवाना संभव नहीं है।

छातापाठ प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक हरीश बिंझवार का कहना है कि पूर्व में इस भवन की जर्जर अवस्था के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को सूचित किया गया था तब उनके द्वारा नया भवन उपलब्ध करवाने की बात कही गयी। लेकिन नए भवन की बात आज तक ठंडे बस्ते में ही पड़ी है और बच्चों को मजबूरीवश मैदान में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है।पूर्व में जब जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे का आगमन प्राथमिक शाला छातापाठ में हुआ था तब उन्हें भी इस समस्या से अवगत कराया गया था जिस पर उन्होंने शीघ्र ही नवीन भवन प्रदान करने का आश्वासन दिया था पर आश्वासन आश्वासन ही रह गया मूर्त रूप नहीं ले सका जिसके कारण वर्तमान में देश के भविष्य को अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर भवन के नीचे बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है।

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