कलेक्टर ने लिया सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का जायजा
जल को साफ करने की प्रक्रिया के संबंध में ली जानकारी
राजनांदगांव . कलेक्टर डोमन सिंह ने आज मोहड़ में अमृत मिशन योजनांतर्गत नगर निगम द्वारा निर्मित 6.2 एमएलडी क्षमता का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का जायजा लिया। कलेक्टर श्री सिंह ने शहर का गंदा पानी जो नाले के माध्यम से संग्रहित होता है। उसे साफ करने की प्रक्रिया के संबंध में जानकारी ली। नगर निगम आयुक्त श्री आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि शहर का गंदा पानी जो नाले के माध्यम से होकर शिवनाथ नदी के जल को प्रदूषित कर रहा था, जिसे रोकने मोहड में अमृत मिशन योजनांतर्गत 6.2 एमएलडी क्षमता का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया है।
कार्यपालन अभियंता श्री यूके रामटेके एवं अमृत मिशन के पीडीएमसीडीटीएल श्री विकास मेगी ने बताया कि वर्तमान स्थिति में फिल्टर किया हुआ पानी नजदीकी समीपस्थ खेतों में पानी की आवश्यकता की पूर्ति कर रहा है। जल की उपलब्धता एवं महत्व को समझते हुए पानी का अधिकतम उपयोग करने की सोच के अनुरूप किए गए कार्य के सार्थक परिणाम मिल रहे हैं। शासन की पहल पर मोहड़ स्थित वार्ड क्रमांक 51 में अमृत मिशन योजनांतर्गत नगर पालिक निगम द्वारा 6.2 एमएलडी क्षमता का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर विगत 3 माह से सुचारू रूप से चल रहा है। नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से जल के हरसंभव उपयोग की यह तकनीक जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक नया प्रयोग है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए उपलब्ध दूषित पानी को उपयोगी बनाकर खेती-किसानी में प्रयोग करने की यह पहल अनूठी है। एक वक्त था जब गंदा पानी नालों के माध्यम से होता हुआ शिवनाथ नदी को प्रदूषित कर रहा था, किन्तु वर्तमान स्थिति में फिल्टर किया हुआ पानी नजदीकी समीपस्थ खेतों में पानी की आवश्यकता की पूर्ति कर रहा है।
गौरतलब है कि 12 करोड़ 50 लाख की लागत से निर्मित प्लांट में शहर के गंदे नाले का पानी साफ किया जा रहा है। संपूर्ण प्लांट स्काडा एवं पूर्ण आटोमेशन तकनीक पर संचालित है। योजनांतर्गत उक्त नाले पर वियर बनाकर पानी का संग्रह किया जा रहा है, जहां से यह गंदा पानी पंपों के माध्यम से 3 किलोमीटर दूर मोहड़ वार्ड नंबर 51 में बने एसटीपी में पहुंचाया जाता है। एसबीआर टेक्नालॉजी आधारित प्लांट में डिकेन्टर, स्लज थिकनर मशीन के माध्यम से गंदे पानी को साफ किया जा रहा है। इसके बाद कीटाणु निसंक्रमण हेतु गैस क्लोरीनेशन का प्रयोग किया जा रहा है। साफ पानी की गुणवत्ता जांचने हेतु सुसज्जित प्रयोगशाला उपलब्ध है।