बिना ‘जुगाड़’ आप भी करवा सकते है अपना वेटिंग टिकट कंफर्म, रेलवे में है खास कोटा, जानें सबसे आसान तरीका
ट्रेन से सफर करना सभी को बहुत अच्छा लगता है. लेकिन यह तभी जब आपकी सीट कंफर्म हो. अगर कंफर्म न होकर वेटिंग या आरएसी रह जाए तो यह सफर बड़ा ही पेरशानी भरा हो सकता है. सबसे ज्यादा परेशानी त्योहारी और छुट्टियों के सीजन में होती है. इस दौरान किसी को कोई इमरजेंसी होती है तो यात्री मजबूरी में किसी तरह यात्रा करता है. लेकिन आप यह जान लें कि ऐसी स्थितियों में आप भी अपना वेटिंग टिकट रेलवे से कंफर्म करा सकते हैं. इसका तरीका बहुत ही आसान है.
रेल मंत्रालय के अनुसार केन्द्र सरकार के मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय / विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, संसद सदस्यों और अन्य तात्कालिक मांगों, जो प्रतीक्षा सूची में होते हैं, की अत्यावश्यक यात्रा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से ट्रेनों और श्रेणियों में इमरजेंसी कोटा निर्धारित किया गया है. कोटा तय मानकों के अनुसार जारी किया जाता है.
ये है वरीयता क्रम
इमरजेंसी कोटा पहले एचओआर धारकों/संसद सदस्यों को स्वयं की यात्रा के लिए दिया जाता है. इसके बाद संसद सदस्यों सहित विभिन्न वर्गों से प्राप्त अन्य मांगों पर विचार किया जाता है. इसके बाद अगर सीट बचती हैं तो सरकारी ड्यूटी पर यात्रा करने, परिवार में शोक, बीमारी, नौकरी के लिए साक्षात्कार जैसे कामों को ध्यान में रखते हुए कोटा जारी किया जाता है.
इस तरह आप करा सकते हैं कंफर्म
इमरजेंसी कोटा के लिए आपको मंत्रालय, जोन कार्यालय या फिर डिवीजन कार्यालय जाना होगा. वहां पर इमरजेंसी कोटा के टिकटों को कंफर्म कराने के लिए एक बाक्स रखा होता है. आपको अपनी जरूरत बताते हुए एक लेटर लिखना होगा, इसके साथ टिकट और इमरजेंसी बताने वाले पेपर की फोटो कापी लगानी होगी. मसलन कोई परीक्षा है या बीमार है तो उसके पेपर की फोटो कापी लगाकर बाक्स में डालना होगा. लेटर में अपना मोबाइल नंबर भी लिखना होता है.
इमरजेंसी कोटा में 10 फीसदी सीटें
उदाहरण के लिए किसी भी ट्रेन में स्लीपर के 10 कोच हैं. उनके 10 कोचों में 18-18 सीटें कंफर्म होने की संभावना रहती है. इस तरह वेटिंग 180 कंफर्म हो सकती हैं. यही फार्मूला थर्ड, सेकेंड और फर्स्ट ऐसी में भी लागू होता है.
सालाना 800 करोड़ करते हैं सफर
भारतीय रेलों से 800 करोड़ यात्री सालाना सफर कर रहे हैं. इनके लिए रोजाना प्रीमियम, मेल और एक्सप्रेस 2122 ट्रेन और 2852 पैंसेजर ट्रेनें चल रही है. रेलवे का कहना है कि अगले तीन से चार वर्ष में भारतीय रेलवे की क्षमता सालाना 1000 करोड़ यात्री की होगी.