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Karwa Chauth 2023: थाली में ये चीजें नहीं होगी तो अधूरी मानी जाती है पूजा, पति-पत्नी में हो सकता है विवाद

करवा चौथ की थाली में फल- फूल, सुहाग का सामान, जल, दीपक और मिठाई भी रखनी चाहिए। इन चीजों से करवा माता की पूजा की जाती है।

HIGHLIGHTS

  1. करवा चौथ व्रत में पूजा के दौरान करवा माता की तस्वीर जरूर रखें।
  2. बगैर करवा के करवा चौथ की पूजा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह करवा नदी का प्रतीक माना जाता है।
  3. करवा चौथ पूजा के लिए जो थाली तैयार करें तो उसमें छलनी भी जरूर रखना चाहिए।

धर्म डेस्क, इंदौर। पति-पत्नी के बीच विश्वास की डोर को मजबूत बनाने वाला करवा चौथ व्रत देशभर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक ये त्योहार विवाहित नारी के मन को एक सुखद अनुभूति प्रदान करता है। यदि आप भी करवा चौथ व्रत पूजन कर रही हैं तो पूजा में कुछ चीजों को अनिवार्य रूप से रखें, क्योंकि इन चीजों के बिना करवा चौथ व्रत अधूरा माना जाता है।

 

बगैर करवा के न करें पूजा

 

करवा चौथ व्रत में पूजा के दौरान करवा माता की तस्वीर जरूर रखें। यह शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा बगैर करवा के करवा चौथ की पूजा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह करवा नदी का प्रतीक माना जाता है।

पूजा की थाली में छलनी

करवा चौथ पूजा के लिए जो थाली तैयार करें तो उसमें छलनी भी जरूर रखना चाहिए। पूजन के दौरान महिलाएं छलनी से अपने पति के चेहरे को देखती है और उसके बाद चांद को देखते है।

 

 

पूजा की थाली में दीपक

करवा चौथ की पूजा थाली में दीपक भी जरूर रखना चाहिए। बगैर दीपक के कोई भी व्रत या पूजा पूरी नहीं हो सकती। करवा पूजन में दीपक की रोशनी का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा तांबे के लोटे में शुद्ध जल भी रखना चाहिए। तांबे के लोटे से चंद्रमा को अर्घ देना चाहिए।

ये सामान भी रखें

करवा चौथ की थाली में फल- फूल, सुहाग का सामान, जल, दीपक और मिठाई भी रखनी चाहिए। इन चीजों से करवा माता की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लेकर अपने परिवार की मंगल कामना की प्रार्थना कर पूजा संपन्न की जाती है।

डिसक्लेमर

 

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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