भोपाल । कल सावन का दूसरा सोमवार होगा। इसके साथ ही हरियाली व सोमवती अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। 57 वर्ष बाद ऐसा संयोग बना है। इससे पहले 1966 में 18 जुलाई को सोमवती अमावस्या थी और अब 2023 में 17 जुलाई को आ रही है। सूर्य, चंद्र, बुध, राहु, केतु उस समय जिन राशियों में थे, इस बार भी उन्हीं राशियों में रहेंगे। इसके अलावा इस दिन स्नान-दान के साथ शिव-शक्ति की संयुक्त साधना लाभकारी होगी। पितरों के निमित्त पिंडदान करने से शांति प्राप्त होगी।
हरियाली अमावस्या पर परंपराओं का अपना महत्व है। हालांकि पौराणिक तथा शास्त्रीय मान्यता के आधार पर देखें तो अमावस्या पर स्नान की परंपरा है, वहीं पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान तथा अन्य पूजा के साथ गो ग्रास भिक्षुक को अन्नदान आदि करने का विधान है। यही नहीं अमावस्या की मध्य रात्रि में भगवान शिव और शक्ति की संयुक्त साधना भी आध्यात्मिक सफलता की प्राप्ति कराने में समर्थवान रहती है।
पांच ग्रह रहेंगे एक राशि में
ज्योतिषियों के अनुसार ग्रह गोचर की गणना के अनुसार चलें तो सूर्य, चंद्र, बुध, राहु, केतु ये पांच ग्रह 1966 में (श्रावण अधिकमास) में उन्हीं राशियों में थे, जो क्रमानुसार सूर्य कर्क राशि में, चंद्र मिथुन राशि में, बुध कर्क राशि में और राहु-केतु क्रमश: मेष और तुला राशि में थे। इस बार इन पांच ग्रहों की स्थिति इन्हीं राशियों में गोचर करेंगी।
उपवास की मान्यता
ज्योतिषाचार्य पंडित रामजीवन दुबे और पंडित आलोक उपाध्याय ने बताया कि पंचांग की गणना अनुसार श्रावण मास के प्रथम कृष्ण पक्ष (शुद्ध) के अंतर्गत आने वाली अमावस्या हरियाली अमावस्या के साथ सोमवती या हरियाली कहलाएगी। सोमवार को मिथुन राशि का चंद्रमा एवं पुनर्वसु नक्षत्र की साक्षी तथा व्याघात योग, चतुष्पद करण के संयोग में सोमवती-हरियाली अमावस्या का पुण्य काल आ रहा है। पौराणिक मान्यताओं एवं शास्त्रीय गणना के अनुसार इस प्रकार के योग संयोग में सोमवती, हरियाली अमावस्या का होना साधना, उपासना, दान तथा ग्रहों की अनुकूलता के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। इस समय के दान तथा साधना उपासना का अभूतपूर्व लाभ मिलता है।
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