8 माह की गर्भवती समेत परिवार को निकाला:ग्राम पटेल पर प्रताड़ित करने का आरोप

गरियाबंद जिले के झाखरपारा पंचायत के आश्रित ग्राम केंदुबंद में ग्राम पटेल की दबंगई का मामला सामने आया है। आरोप है कि ग्राम पटेल नियक राम ने कई पीढ़ियों से घर बनाकर रह रहे 6 परिवारों को बेदखल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। यहां तक कि एक ग्रामीण को 8 महीने की गर्भवती पत्नी को लेकर पूरे परिवार के साथ ओडिशा में शरण लेनी पड़ी। सोमवार को पीड़ित परिवारों ने थाने पहुंचकर ग्राम पटेल के खिलाफ पुलिस से शिकायत की। मामला देवभोग थाना क्षेत्र का है।

पीड़ित परिवार के अनिरुद्ध यादव, लखिधर यादव, जीड़ो राम यादव, जयलाल यादव, हरलाल समेत 20 से भी ज्यादा ग्रामीण थाने, तहसील और SDM कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई। पीड़ितों का कहना है कि केंदुबंद में कुछ परिवार 5, तो कुछ 7 पीढ़ियों से घर बनाकर रह रहे हैं, लेकिन कुछ दिन पहले ग्राम पटेल ने जमीन का सीमांकन कर सभी के बसाहट इलाके को अपने हक का बता दिया। पीड़ितों ने बताया कि ग्राम पटेल नियक राम उन पर घर को खाली करने का दबाव बना रहा है। एक परिवार को तो इतना परेशान किया गया कि उन्हें अपना घर छोड़कर पड़ोसी राज्य ओडिशा में शरण लेनी पड़ी है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पटेल उनके खिलाफ कभी थाने में जाकर गालीगलौज की झूठी रिपोर्ट लिखवा रहा है, तो कभी गलियों और घर के मुख्य द्वार पर दीवार खड़ी कर रहा है।

ग्राम पटेल पर ग्रामीणों को प्रताड़ित करने का आरोप।

सरपंच ने भी लगाया ग्रामीणों को प्रताड़ित करने का आरोप

ग्राम सरपंच सनत मांझी ने भी मामले में 16 दिसंबर को तहसीलदार के नाम पत्र लिखकर ग्राम पटेल पर ग्रामीणों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और जमीन का दोबारा सीमांकन करवाने की मांग की है। सरपंच ने कहा कि जमीन पीड़ितों के नाम पर है या नहीं, ये तो बाद की बात है। ये कोर्ट या जिला प्रशासन तय करेगी। जांच के बाद इसका फैसला होगा। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के पास जमीन के कागजात हैं। उन्होंने कहा कि अगर जमीन उनकी नहीं भी होती, तब भी पीढ़ियों से रह रहे परिवारों को इस तरह से बेदखल करने का हक किसी को नहीं है। अतिक्रमण को भी हटाने की भी एक कानूनी प्रक्रिया होती है। ग्राम पटेल कानून हाथ में लेकर और सभी नियम-कानूनों को ताक पर रखकर इस तरह से मनमानी नहीं कर सकता है।

रोते हुए पीड़ित ने सुनाई आपबीती

पीड़ित अनिरुद्ध यादव ने रोते हुए बताया कि उसकी पत्नी 8 महीने की गर्भवती है, लेकिन ग्राम पटेल को उसकी हालत पर भी तरस नहीं आया। उसने 14 दिसंबर को उसके माता-पिता, पत्नी समेत घर के 6 सदस्यों को घर से बाहर निकाल दिया। उसने घर के सामने मुख्य रास्ते पर ईंट की दीवार खड़ी कर दी और गालीगलौज कर घर छोड़ने का दबाव बनाया। मजबूर होकर उसने कड़ाके की ठंड में गर्भवती पत्नी और परिवार के साथ 18 किलोमीटर दूर ओडिशा में प्रवेश किया। यहां झोपड़ी में किसी तरह परिवार के साथ रह रहा है। वहीं उसकी गर्भवती पत्नी स्वाति की परेशानी को देखकर गांववाले भी दुखी हो गए। अनिरुद्ध ने कहा कि उसका पहला बच्चा बेघर मां-बाप के यहां जन्म लेगा।

रोते हुए पीड़ित ने बताई आपबीती।

दहशत में हैं गांववाले, मदद नहीं मिली तो सबको होना पड़ेगा बेघर

बुजुर्ग लखिधर ने बताया कि जिस घर में वो बाप-दादा के जमाने से रह रहा है, वो जमीन अचानक ग्राम पटेल नियक राम के नाम पर कैसे निकल गया? अगर निकल भी गया, तो कोई इस तरह से घर कैसे खाली करा सकता है। बिना कोई नोटिस दिए, बिना प्रशासनिक हस्तक्षेप के सीधे उन्हें बेघर कर दिया गया। वहीं हरलाल यादव ने कहा कि हम तो कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन अब तक इस तरह घर खाली कराने की घटना भी नहीं देखी है। यहां 6 पीड़ित परिवार हैं, जिन्हें कहीं से मदद भी नहीं मिल पा रही है। सभी 6 परिवार के 30 सदस्यों में 8 बच्चे और 10 महिलाएं भी शामिल हैं। अब इन सभी को बेघर होना पड़ेगा।

पीड़ितों के पास मौजूद है जमीन खरीदी का प्रमाण

पीड़ितों ने अपने साथ एक जमीन खरीद-बिक्री का पुराना स्टांप पेपर भी रखा हुआ है, जिसमें जीड़ो, जयलाल, हरलाल समेत अन्य के पिता लालमत द्वारा 1972 में फूडा राम यादव से जमीन खरीदने का जिक्र है। तब यह हल्का 72 में आया करता था। अचानक अब यह दूसरे के नाम की जमीन नए सीमांकन में ग्राम पटेल नियक राम के नाम से दिखा रहा है। पीड़ित परिवार इसे बंदोबस्त त्रुटि बताकर ग्रामीणों की मौजूदगी में फिर से सीमांकन कराने की मांग कर रहे हैं। ताज्जुब की बात ये भी है कि खरीद-बिक्री के स्टाम्प होने के बावजूद पीड़ितों को अब तक कोई मदद नहीं मिल सकी है।

जिला प्रशासन ने उचित कार्रवाई का दिया आश्वासन

वहीं SDM अर्पिता पाठक ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत पर तहसीलदार और थाना प्रभारी को संयुक्त रूप से जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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