चिराग परियोजनांतर्गत समन्वित कृषि प्रणाली हेतु कृषक प्रशिक्षण

दंतेवाड़ा, विश्व बैंक के वित्तीय सहयोग से छत्तीसगढ़ के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में पोषण आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास परियोजना संचालित है। जिसमें राज्य के 14 विकासखंडो का चयन किया गया है। जिसमें दंतेवाड़ा जिले से विकासखंड दन्तेवाड़ा एवं कटेकल्याण का चयन हुआ है। जिसके तहत दन्तेवाडा विकासखंड के ग्राम जारम और मेण्डोली में कृषि विज्ञान केन्द्र दंतेवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. नारायण साहू के मार्गदर्शन एवं डिप्रोशन बंजारा (विषय वस्तु विशेषज्ञ, सस्य विज्ञान), डॉ. अंजूलता सुमन पात्रे (वरिष्ठ अनुसंधान अघ्येता, चिराग) के द्वारा चिराग परियोजनातंर्गत समन्वित कृषि प्रणाली स्थापना हेतु कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में कृषि विभाग के अधिकारी दिनेश कुमार पटेल (आर.ए.ई.ओ.), सोमडू कश्यप (सरपंच), फगन राम कश्यप (पंच), श्रीमती रैयमती मंडावी (पंच) उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण के शुरुआत में वैज्ञानिक डिप्रोशन बंजारा के द्वारा समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत किसानों के आय बढ़ाने और कुपोषण को दूर करने के तरीके बताये गये। कृषि प्रणाली के अंतर्गत फसल लगाने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कतार विधि को अपनाने की बात कही। उन्होंने बताया कि कतार विधि में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से.मी. और पौधों से पौधों की दूरी 10 से.मी. जिससे कंसे अधिक निकलते है, वायु का प्रवेश अच्छा होता है और खरपतवार आसानी से निकाला जा सकता है और विधि में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 से.मी. और पौधों से पौधों की दूरी 25 से.मी. रखनी चाहिए इसके साथ किसान को 12-14 दिन के तैयार नर्सरी की रोपाई करनी चाहिए इसमें पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। जिसमें धान की अधिक एवं लंबी वजनी बालिया प्राप्त होती है। जिससे उत्पादन अधिक होता है। इस विधि से 30-40 प्रतिशत जल की बचत होती है। उन्होंने घर के आंगन में पोषण वाणी में फल, आम, अमरूद, सब्जीया जैसे भाजी, बैंगन, टमाटर, मिर्च भी लगा सकते है।इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और  कुपोषण को दूर किया जा सकता है। साथ ही मुर्गी पालन के बारे में भी बताते हुये मुर्गी पालन हेतु कृषकों को प्रोत्साहित किया। तत्पश्चात डॉ. अंजूलता सुमन पात्रे (वरिष्ठ अनुसंधान अघ्येता, चिराग) के द्वारा समन्वित कृषि प्रणाली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई। उन्होने बताया कि एकीकृत कृषि प्रणाली विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिये है। बड़े किसान भी इस प्रणाली के जरिये खेती कर मुनाफा कमा सकते है। एकीकृत कृषि प्रणाली का मुख्य उद्देश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का सही तरीके से इस्तेमाल करना है। इसके तहत आप एक ही साथ अलग-अलग फसल, फूल सब्जी, मवेशी पालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि कर सकते है।इससे उत्पादकता बढेगी। एकीकृत कृषि प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल है यह खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है।

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