नेपाल कर रहा ‘तेल में खेल’, सोयाबीन तेल आयात का आंकड़ा दे रहा है गवाही

नेपाल से भारत में सोयाबीन तेल के आयात में हुई जबरदस्‍त वृद्धि ने सरकार को चिंता में डाल दिया है. नेपाल सोयाबीन का बड़ा उत्‍पादक नहीं है. सोयाबीन तेल के बढते आयात से अधिकारियों को दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. आशंका जताई जा रही है कि नेपार, भारत-नेपाल व्यापार संधि 2009 के तहत मिलने वाले शून्य-शुल्क सुविधा का अनुचित लाभ उठा रहा है. नेपाल में कई रिफाइनिंग उद्योग भारतीय व्यवसायियों द्वारा संचालित हैं. लेकिन नेपाल की घरेलू खपत बहुत कम है, जिससे साफ पता चलता है कि यह उद्योग मुख्य रूप से भारत के एफटीए (FTA) शुल्क ढांचे का लाभ उठाने के लिए संचालित हो रहा है.

नेपाल से सोयाबीन तेल के आयात में अप्रत्याशित रूप से 14 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर 2024 की अवधि में नेपाल से आयात में यह उछाल पिछले वर्ष की तुलना में दर्ज किया गया है, जबकि नेपाल इस वस्तु का सीमित उत्पादक है. नवंबर 2024 में नेपाल से सोयाबीन तेल का आयात 23.46 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि नवंबर 2023 में यह मात्र 1.42 मिलियन डॉलर था. इसी तरह, अप्रैल से नवंबर 2024 की अवधि में कुल आयात 38.15 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023 में सिर्फ 2.81 मिलियन डॉलर था.

यह तेजी ऐसे समय में आई है जब भारत में सोयाबीन तेल का कुल आयात भी बढ़ रहा है. अप्रैल से नवंबर 2024 में कुल सोयाबीन तेल आयात 19% बढ़कर लगभग 3 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 2.5 अरब डॉलर था. हालांकि, इसी अवधि में ब्राजील जो दुनिया के शीर्ष सोयाबीन तेल उत्पादकों में से एक है से भारत को होने वाले निर्यात में गिरावट देखी गई.

इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल रूल्स ऑफ ओरिजिन (मूल देश के नियमों) का उल्लंघन कर सकता है और भारत-नेपाल व्यापार संधि 2009 के तहत मिलने वाले शून्य-शुल्क लाभ का फायदा उठा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, नेपाल को इस संधि के तहत 30% से अधिक का टैरिफ लाभ मिलता है. एक अधिकारी ने बताया, “बीते सात वर्षों में कई भारतीय कस्टम अधिकारियों ने नेपाल का दौरा किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रूल्स ऑफ ओरिजिन का उल्लंघन न हो रहा हो. नेपाल में कई रिफाइनिंग उद्योग भारतीय व्यवसायियों द्वारा संचालित हैं, लेकिन नेपाल की घरेलू खपत बहुत कम है, जिससे साफ पता चलता है कि यह उद्योग मुख्य रूप से भारत के एफटीए (FTA) शुल्क ढांचे का लाभ उठाने के लिए संचालित हो रहा है.”

सरकार ने भारतीय तिलहन किसानों की सुरक्षा के लिए सितंबर 2023 में रिफाइंड पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर आयात शुल्क 20% बढ़ाकर 35.75% कर दिया था. इसके बाद  नेपाल से आयात तेजी से बढ़ा है.

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