Raipur: बिना टांका लगाये बायोप्रोस्थेटिक एओर्टिक हार्ट वाल्व का प्रत्यारोपण, अंबेडकर हास्पिटल के हार्ट सर्जरी विभाग ने रचा इतिहास
सुनने में अटपटा जरूर लगता है, क्योकि बिना टांका (stich) लगाये कोई वाल्व कैसे लगा सकता है। लेकिन यह यह संभव हो पाया है, मेडिकल क्षेत्र में नये-नये अनुसंधान से। जिसमें ऐसे वाल्व बनाया गया जिसमें टांका लगाने की जरूरत नहीं है एवं यह आसानी से हार्ट के अंदर फिट हो जाता है। इस वाल्व का नाम सुचरलेस परसीवाल (Sutureless Perceval) है
आंबेडकर अस्पताल में सर्जरी करने वाले डाॅ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि, इस वाल्व को उन मरीजों में उपयोग किया जाता है, जो हाई रिस्क कैटेगरी में आते है जैसे कि अत्यधिक उम्र हो जाना (60 साल के बाद) एवं हृदय का पंपिग पावर कमजोर हो जाना। इस वाल्व को लगाने का फायदा यह होता है, कि सिर्फ 15 से 20 मिनट में वाल्व का प्रत्यारोपण हो जाता है, जिससे मरीज का कार्डियो पल्मोनरी बाइपास (CPB) CardioPulmonary Bypass टाइम कम हो जाता है जिससे मरीज के शरीर में सीपीबी मशीन का दुष्प्रभाव काफी कम हो जाता है। मरीज को वाल्व एरिया बहुत अधिक मिलता है जिससे अन्य वाल्व की तुलना में मरीज के शरीर में रक्त का प्रवाह ज्यादा होता है। इस वाल्व को लगाने से मरीज को खून पतला करने की दवाई खाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
क्या होता है, सुचरलेस वाल्व (टांका रहित)
इस वाल्व में बोवाइन पेरीकार्डियम (Bovine Pericardium) का उपयोग होता है एवं इसको एक विशेष प्रकार के धातु जिसको निटिलाॅन कहा जाता है उसमें फिट कर दिया जाता है। जैसे ही यह वाल्व रक्त सम्पर्क में आता है तो यह वाल्व अपने आप आकार ले लेता है एवं पुराने वाल्व की जगह में अच्छे से फिट हो जाता है एवं टांका लगाने की आवश्यकता नहीं होती जिससे ऑपरेशन का समय बच जाता है।
यह वाल्व कार्डियोलाॅजिस्ट द्वारा लगाए जाने वाले टावी (TAVI) वाल्व से कई मायने में अच्छा होता है। पहला यह बहुत ही किफायती होता है। टावी (TAVI) प्रोसीजर का सरकारी दर 17.5 लाख है जबकि टांका रहित वाल्व लगाने में मात्र 5 लाख का खर्च आता हैं। दूसरा टावी प्रोसीजर में वाल्व लगाने के लिए रेडियो ओपक डाई की आवश्यकता होती है, जिसके कारण मरीज के किडनी पर असर पड़ता हैं जबकि इस टांका रहित वाल्व लगाने में किडनी को ज्यादा नुकसान नही होता है। तीसरा टावी प्रोसीजर में नया वाल्व पुराने वाल्व को बिना निकाले ही लगाया जाता है, जिससे छोटे साइज का ही वाल्व लग पाता है, जबकि सुचरलेस वाल्व लगाने के लिए बीमार वाल्व में जमे चूने को निकालना पड़ता है। जिससे बड़े साइज का वाल्व फिट हो जाता है, जो कि मरीज के लिए अच्छा होता है।
बता दें अंबेडकर अस्पताल का हार्ट सर्जरी विभाग, छत्तीसगढ़ एवं मध्य भारत में ऐसा वाल्व लगाने वाला प्रथम संस्थान बन गया। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत पूर्णतः नि:शुल्क इलाज़ किया गया है। दरअसल, 9 महीने से मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और हृदय मात्र 40 प्रतिशत काम कर रहा था।
65 वर्षीय मरीज को सीवियर एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस थी। यह प्रोसीजर कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा किये जाने वाले टावी (TAVI) प्रोसीजर से काफी किफायती और असरदार होती है।