छत्तीसगढ़: जगदलपुर पर्यटक स्थल
जगदलपुर छत्तीसगढ़ भारतीय राज्य में बस्तर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। जगदलपुर अपने हरे भरे पहाड़ों, गहरी घाटियों, घने जंगलों, नदियों, झरनों, गुफाओं, प्राकृतिक पार्क, शानदार स्मारकों, समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, विपुल उत्सव और आनंदमय एकांत से भर अपनी हरियाली के लिए जाना जाता है।
जगदलपुर में और आसपास के पर्यटक स्थल
अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और जंगली जानवरों के लिये एक विशाल संरक्षित वन से समृद्ध, जगदलपुर अपनी पारंपरिक लोक संस्कृति के लिये जाना जाता है जो इस क्षेत्र को विशिष्टता प्रदान करता है। धमतरी में कई पर्यटक आकर्षण हैं। उनमें से कुछ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट वॉटरफॉल, चित्राधरा झरने और दलपत सागर झील हैं, जहां एक म्यूजिकल फाउंटेन भी है, जो इस द्वीप को सुंदरता प्रदान करता है।
जगदलपुर – कला और हस्तशिल्प
कला और शिल्प समय, समाज और संस्कृति का एक लिखित प्रमाण है। आदिवासी और लोक कलाकार और शिल्पकार अपने कार्यों में अपनी विचारधारा, विचारों और कल्पना की ठोस अभिव्यक्ति करते हैं। वस्तुओं और दैनिक उपयोग की कलाकृतियों को बनाने हुए भी उनकी कलात्मक कल्पना और सौंदर्य की भावना काम करती रहती है। अपने देवी-देवताओं को शांत करने के लिये कर्मकांडों में कलात्मक प्रसाद की उनकी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो कला को जीवित और जीवंत रखे हुए है। कला, वास्तव में, अपने अस्तित्व का हिस्सा है।
जगदलपुर के आदिवासी और लोक कला और शिल्प की दुनिया में एक झलक भी लोगों को आकर्षषित कर लेती है। आदिवासी कलाकारों और शिल्पकारों को अपने अतीत और समृद्ध परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। देखा जाये तो जिस तरह से वे मिट्टी, लकड़ी, पत्थर, धातु, आदि को विलक्षण आकार, रूप और आकर्षक डिजाइनों में ढालते हैं, वह बेहद आकर्षक होता है और मन को छूने वाला होता है।
जगदलपुर में लौह शिल्प की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, और अपने कौशल और रचनात्मकता में बेजोड़ खड़ी हुई है। क्षेत्र के धातु शिल्प एक अद्वितीय देहाती आकर्षण हैं। लोहे की मूर्तियों में उत्कृष्टता के साथ क्षेत्र के शिल्पकार प्रत्येक पारंपरिक या काल्पनिक विषय पर प्रयोग करते हैं। उनके विषयों में स्थानीय देवता, सशस्त्र आदिवासी सैनिक, घोड़े, सूअर, और विभिन्न पक्षी शामिल होते हैं। उत्पाद मुख्य रूप से सजाने के लिये, पूजा करने के लिेये और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले हाते हैं।
जगदलपुर – लोग और संस्कृति
जगदलपुर के लोग अलग अलग कबीलों में बंटे हुए हैं। यहां कुछ जनजातियां पायी जाती हैं, जिनमें गोंड, मुरिया, हल्बा और अभुजमरिया हैं। गोंड न केवल भारत में सबसे बड़ा आदिवासी समूह हैं, बल्कि जगदलपुर की आदिवासी आबादी में सबसे ज्यादा यही हैं। वे मुख्य रूप से एक खानाबदोश जनजाति है और उन्हें कोयटोरिया भी बुलाया जाता है। मुरिया गोंड जनजाति में एक उप समूह है।
मुरिया, आम तौर पर खानाबदोश गोंड के विपरीत, स्थायी गांवों में रहते हैं। वे मुख्य रूप से खेती, शिकार पर और जंगल के फल खाकर जीवित रहते हैं। मुरिया आम तौर पर बहुत गरीब होते हैं और बांस, मिट्टी और फूस की छत के घरों में रहते हैं। हल्बा विकसित और समृद्ध जनजातीय समूहों में से एक है और उनमें से कई जमीनों के मालिक हैं।
राज्य के आदिवासियों के बीच हल्बा अपनी वेशभूषा, भाषा और सामाजिक गतिविधियों के कारण उच्च ‘स्थानीय स्थिति’ के लिये गौरवान्वित महसूस करते हैं। अभुजमारिया वो आदिवासी हैं, जो जगदलपुर के भौगोलिक रूप से दुर्गम क्षेत्र अभुजमार पहाड़ों और कुटरूमार पहाड़ियों पर पाये जाते हैं।
जगदलपुर तक कैसे पहुंचे
जगदलपुर में अच्छी तरह से रेल और सड़क मार्ग से राज्य के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। शहर अच्छी तरह से रेल और सड़क सेवाओं के माध्यम से जुड़ा हुआ है।