न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ का घोटाला, जीएम सहित कई अधिकारियों पर FIR दर्ज

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक ) पर प्रतिबंध लगाने के दो दिन बाद बैंक में वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है. न्‍यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) देवरशी शिशिर कुमार घोष की शिकायत पर भारतीय न्‍याय सहिंता की विभिन्‍न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. इस मामले में मुख्य आरोपी बैंक के महाप्रबंधक हितेश मेहता को बनाया गया है. एफआईआर में उनके कई सहयोगियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख के पद पर कार्यरत लोग शामिल हैं.

एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया, साजिश रची और बैंक से 122 करोड़ रुपये का गबन किया. इस मामले की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपी गई है. जांच डीसीपी मंगेश शिंदे की निगरानी में की जाएगी, जो बैंकिंग से संबंधित वित्तीय अपराधों की जांच करते हैं. आरबीआई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर धन निकासी और जमा पर रोक लगाने के बाद बैंक ग्राहक चिंतित है और वे लगातार बैंक से अपना पैसा लौटाने की मांग कर रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बैंक पर कई गंभीर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे न केवल नया कारोबार ठप हो गया है, बल्कि ग्राहकों को अपने ही पैसे निकालने की अनुमति भी नहीं दी गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उसके बाद बैंक अब कोई नया कर्ज नहीं दे सकेगा, न ही ग्राहक अपने जमा पैसे निकाल सकेंगे. यह कदम बैंक की वित्तीय स्थिति और सुपरवाइजरी चिंताओं को देखते हुए उठाया गया है.

बैंक की नकदी स्थिति संतोषजनक नहीं है, जिससे जमाकर्ताओं के पैसे पर खतरा मंडराने लगा था. इसीलिए आरबीआई ने बचत खाते, चालू खाते और अन्य जमाकर्ता खातों से निकासी पर रोक लगा दी है. नियामक संस्था (RBI) का कहना है कि यह कदम लोगों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, ताकि बैंक की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और ग्राहकों को बड़े नुकसान से बचाया जा सके.

Related Articles

Back to top button