एमपी हाई कोर्ट नाराज, यदि कनिष्ठ को उच्च पद का पदेन प्रभार दिया है तो वरिष्ठ को भी दें

शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, जबलपुर में हेड मास्टर के पद पर कार्यरत है। उसकी आपत्ति यह है कि उससे अपेक्षाकृत कनिष्ठों को उच्च पद का पदेन प्रभार दे दिया गया है। जबकि वरिष्ठ होने के नाते हाई स्कूल में प्रभारी प्राचार्य बनने का अधिकार उसका है।

HIGHLIGHTS

  1. हाई कोर्ट ने हेड मास्टर के पक्ष में सुनाया आदेश।
  2. लाभ के लिए काउंसिलिंग के दो चरणों का प्रविधान।
  3. पोर्टल में जानकारी अपलोड न होने से दरकिनार।

जबलपुर (MP High Court)। हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि यदि अपेक्षाकृत कनिष्ठ को उच्च पद पर पदेन प्रभार दिया गया है तो याचिकाकर्ता की वरिष्ठता का सम्मान करते हुए उसे भी यह लाभ प्रदान किया जाए।

वरिष्ठ होने के नाते हाई स्कूल में प्रभारी प्राचार्य बनने का अधिकार उसका

याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी मीनल चैतन्या की ओर से अधिवक्ता पराग तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, जबलपुर में हेड मास्टर के पद पर कार्यरत है। उसकी आपत्ति यह है कि उससे अपेक्षाकृत कनिष्ठों को उच्च पद का पदेन प्रभार दे दिया गया है। जबकि वरिष्ठ होने के नाते हाई स्कूल में प्रभारी प्राचार्य बनने का अधिकार उसका है।

2018 में एमपी स्कूल एजुकेशन सर्विस टीचिंग केडर रूल्स संशोधित हुआ था

दरअसल, 2018 में एमपी स्कूल एजुकेशन सर्विस टीचिंग केडर रूल्स को संशोधित किया गया था। इसके अंतर्गत व्यवस्था दी गई थी कि पद रिक्त होने की सूरत में उच्च पद पर पदेन प्रभार दे सकते हैं। किंतु वेतन यथावत रखा जाएगा। इसी व्यवस्था के प्रकाश में व्याख्याता, हेड मास्टर व उच्चश्रेणी शिक्षकों को लाभ दिया जाने लगा।

दूसरे चरण की काउंसिलिंग से पूर्व यह कमी दूर करा ली थी

लाभ के लिए काउंसिलिंग के दो चरणों का प्रविधान किया गया। याचिकाकर्ता को पोर्टल में जानकारी अपलोड न होने की वजह से दरकिनार किया गया। बावजूद इसके कि उसने दूसरे चरण की काउंसिलिंग से पूर्व यह कमी दूर करा ली थी। इसी अन्याय के विरुद्ध हाई कोर्ट आया है।

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